मामे खान की गायिकी ने सूफियाना की रात
बाराबंकी : प्रसिद्ध सूफी और राजस्थानी लोकगायक मामे खान के गीतों से सोमवार की सूफी नाइट गुलजार रही। उ
बाराबंकी : प्रसिद्ध सूफी और राजस्थानी लोकगायक मामे खान के गीतों से सोमवार की सूफी नाइट गुलजार रही। उनके गीतों में राजस्थान की पारंपरिक छटा से पंडाल राजस्थानी रंगों से सराबोर रहा। श्रोताओं की तालियों के बीच उन्होंने एक से बढ़कर एक गीत प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम की शुरुआत उन्होंने 'केसरिया बालम पधारो म्हारे देश' से की। इसके बाद उन्होंने 'आवे रे हिचकी' सुप्रसिद्ध राजस्थानी लोकगीत '¨नबुड़ा-¨नबुड़ा' पेशकर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने सूफी कलाम 'शुक्रान पढ़ अलहमदुलिल्लाह', 'दमादम मस्त कलंदर' और हीरो का सुपरहिट राजस्थानी गीत 'चार दिनों का प्यार ओ रब्बा बड़ी लंबी जुदाई' सहित कई सूफियाना कलाम और पारंपरिक राजस्थानी गीत प्रस्तुत किए। उन्होंने अपने एलबम मिर्जा का गीत चकोरा भी प्रस्तुत किया। जिनका श्रोता तालियां बजा-बजाकर देर रात तक आनंद लेते रहे। राजस्थान की मांगड़ियार जाति से ताल्लुक रखने वाले मामे संगीत के राणा घराने से जुड़े हैं। पारंपरिक राजस्थानी गीतों को आधुनिक और पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुनों में पिरोकर उन्होंने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। माने खान ने कई फिल्मों में अपनी आवाज दी है। मामे सूफी संगीत को पवित्र संगीत मानते हुए देवा में अपनी प्रस्तुति को अविस्मरणीय मानते हैं। इस मौके पर अपर जिलाधिकारी अनिल ¨सह, देवानंद श्रीवास्तव, आशीष पाठक आदि रहे।