रुपये के लिए प्रसव से इन्कार पर मानवाधिकार आयोग गंभीर
लखनऊ : बाराबंकी जिला अस्पताल की डॉक्टर द्वारा ढाई हजार रुपये न देने पर प्रसव कराने से इन्कार करने के
लखनऊ : बाराबंकी जिला अस्पताल की डॉक्टर द्वारा ढाई हजार रुपये न देने पर प्रसव कराने से इन्कार करने के मामले पर उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने गंभीर रुख अख्तियार किया है। मामले की जांच के आदेश देने के साथ 15 दिन में रिपोर्ट मांगी गयी है।
बाराबंकी के जैदपुर थाना क्षेत्र के खुशहालपुरवा निवासी पवन कुमार की 27 वर्षीय पत्नी शशि फतेहपुर कोतवाली के ग्राम देवकलिया स्थित अपने मायके गयी थीं। बीते शुक्रवार रात प्रसव पीड़ा होने पर परिवारीजन उन्हें क्षेत्रीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए, जहां से उन्हें जिला महिला चिकित्सालय भेजा गया। जिला महिला चिकित्सालय में डॉक्टर ने प्रसव के लिए ढाई हजार रुपये मांगे। परिवारवाले मिन्नतें करते रहे किन्तु डॉक्टर नहीं पसीजीं। शशि के भाई मनोज ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी व जिलाधिकारी को फोन कर दिया, तो ड्यूटी पर मौजूद डॉ.रेनू पंत ने बच्चे के पेट में ही मर जाने की जानकारी दी। हालत ये थी कि डॉक्टर ने बच्चे को बाहर तक नहीं निकाला और शशि की हालत बिगड़ती देख, घर की महिलाओं ने पेट से मृत नवजात को निकाला। अखबारों में छपी इस खबर का संज्ञान लेते हुए मानवाधिकार आयोग की सदस्य आशा तिवारी ने चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव और बाराबंकी के जिलाधिकारी व मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र लिखकर मामले की जांच के आदेश दिये हैं। उन्होंने 15 दिन में जांच आख्या आयोग को भेजने को कहा है।