पुलिस के खिलाफ नहीं थम रहा असंतोष
बाराबंकी: देवा कोतवाली पुलिस की हिरासत में दलित युवक की मौत व पुलिस की लापरवाही से सिद्धौर में उपजे
बाराबंकी: देवा कोतवाली पुलिस की हिरासत में दलित युवक की मौत व पुलिस की लापरवाही से सिद्धौर में उपजे सांप्रदायिक तनाव को लेकर पुलिस के खिलाफ लोगों का असंतोष जारी है। राजनीतिक दलों के साथ ही स्वयंसेवी संगठन और अधिवक्ता भी पुलिस के विरोध में आगे आ रहे हैं। विरोध के क्रम में बुधवार को श्री अवध एडवोकेट्स वेलफेयर सोसाइटी से जुड़े अधिवक्ताओं ने प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर पुलिस कार्रवाई की ¨नदा की और दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
ज्ञापन में सोसाइटी के अध्यक्ष रितेश मिश्र ने कहा है कि देवा पुलिस की हिरासत में पुलिस की मौत का यह मामला कोई पहला नहीं है। इससे पहले भी जहांगीराबाद थाने में सुशील वर्मा की, घुंघटेर थाने में सूरमा भोपाली की मौत हो चुकी है। कोठी थाने में नीतू द्विवेदी को जला दिया गया। इन सभी मामलों में पुलिस की भूमिका के प्रति शासन ने भी संजीदगी नहीं दिखाई जिसके चलते घटनाएं हो रही हैं।
भाजपा ने कहा पुलिस ने स्वयं फूंकी चौकी: भाजपा के एक प्रतिनिधि मंडल ने बुधवार को माती पुलिस चौकी फूंके जाने की घटना के बाद पुलिस उत्पीड़न के शिकार ग्रामीणों से मुलाकात की। देवा कोतवाली के उस लॉकअप को भी देखा जिसके शौचालय में सुभाष राजवंशी की मौत हुई थी। प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व कर रहे भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष शिव प्रताप शुक्ल ने पत्रकारों से कहा कि पुलिस ने हत्या को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की है। इसके बाद शव को उसके ननिहाल सरसौंदी के बजाए भैंसाकुड लखनऊ में ले जाकर तथाकथित पिता के साथ फुंकवा दिया। घटना को लेकर ग्रामीणों में असंतोष पैदा हुआ तो अपने पाप को दबाने के लिए पुलिस कर्मियों ने ही माती पुलिस चौकी फूंक दी और बाद में सरसौंदी, जरुआ व मुरादाबाद गांव में घरों में घुसकर तोड़फोड़ और लूटपाट की। उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रभुनाथ यादव नाम के सिपाही की भूमिका की जांच होनी चाहिए। जिस शौचालय में आत्महत्या की बात कही जा रही है वहां आत्महत्या करने जैसे कोई हालात नहीं हैं। फिर भी आत्महत्या की बात पुलिस कह रही है। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मोटरसाइकिल चोरी का मामला नहीं बल्कि यह प्रापर्टी डी¨लग का मामला था। प्रभुनाथ यादव नामक सिपाही उसी मोटरसाइकिल पर सुभाष को लेकर घूमता था जिसकी चोरी के आरोप में उसे गिरफ्तार करना दर्शाया गया। ग्रामीण इस बात की गवाही देने को तैयार हैं मगर उनसे कोई पूछने वाला नहीं है। उन्होंने एसपी व डीएम के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर राज्यपाल से भी मिलने की बात कही। प्रतिनिधि मंडल में सांसद प्रियंका ¨सह रावत, प्रदेश मंत्री अनूप गुप्ता, सेवानिवृत्त आईजी उमानाथ ¨सह, लखनऊ जिलाध्यक्ष रामनिवास यादव, जिलाध्यक्ष शरद अवस्थी के साथ ही भाजपा किसान मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष सुधीर कुमार ¨सह सिद्धू, पूर्व एमएलसी हरगो¨वद ¨सह, अल्पसंख्यक मोर्चा के क्षेत्रीय अध्यक्ष राजा कासिम शामिल रहे।
मित्र पुलिस का सामने आया खलनायकी चेहरा: अनुसूचित जाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कांग्रेसी नेता डॉ. पीएल पुनिया ने कांग्रेस के पदाधिकारियों के साथ सरसौंदी, मुरादाबाद व जरुआ गांव का भ्रमण कर स्थानीय लोगों से पुलिस उत्पीड़न के बारे में जानकारी ली। उन्होंने कहा कि सुभाष राजवंशी की हत्या का अपराध पुलिस ने किया है। इस मामले में मित्र पुलिस का खलनायकी चेहरा सबके सामने आ गया है। पुलिस चौकी में आगजनी की घटना के बाद निर्दोष ग्रामीणों को पुलिस प्रताड़ित कर रही है। जो एकदम सही नहीं है। आयोग इसकी पूरी जांच करेगा और कार्रवाई भी की जाएगी। उन्होंने सरसौंदी के पूर्व प्रधान कन्हैयालाल रावत, कमलेश वर्मा, रामसुचित रावत, सरबजीत वर्मा, सुंदरलाल, दीनबंधु रावत, हृदयराम वर्मा आदि ग्रामीणों को सहयोग का आश्वासन भी दिया।