..जब जेल में बंद भाई व बहनों की आंखों में आ गए आंसू
बाराबंकी : बैरक नंबर दो में पिछले चार वर्ष से बंद आजीवन करावास की सजा काट रहे बंदी रामनेवाज अन्य दिन
बाराबंकी : बैरक नंबर दो में पिछले चार वर्ष से बंद आजीवन करावास की सजा काट रहे बंदी रामनेवाज अन्य दिनों की अपेक्षाकृत शनिवार की भोर जाग गया। उसे लगा कि शायद बीते तीन वर्षों की भांति उसकी कलाई इस बार सूनी रहेगी। मगर सुबह नौ बजे के करीब उसकी बहन कमला जैसे ही मां के साथ कारागार के हाता में पहुंची। उसकी आंखों में आंसू आ गए। हो भी क्यों न बहन कमला अपने भाई रामनेवाज को राखी बांधने पहुंची थी। भाई के पास बहन को देने के लिए तो शायद कुछ न था मगर उसने बड़े प्यार से बहन को खुश रहने का आर्शीवाद दिया। बहन भी अपने आंसू रोक न सकी।
जिला कारागार में सुबह नौ बजे से राखी बांधने के लिए काफी संख्या में बहनें पहुंची थी। 636 महिलाएं कारागार में निरूद्ध अपने भाइयों के राखी बांधने पहुंची थी। 395 बंदियों को राखी बांधी गई। आजीवन कारावास की सजा काट रहे ओमप्रकाश, गंगाराम, संतराम, वीरेंद्र, कैलास सहित कई ऐसे बंदी रहे जिनकी बहनें अपने परिजनों के साथ मिठाई व राखी लेकर कारागार पहुंची। वैसे तो शनिवार को कारागार में बंदियों से मिलाई नहीं होती है मगर रक्षाबंधन पर्व के ²ष्टिगत शनिवार को सुबह नौ बजे से लेकर साढ़े तीन बजे शाम तक कारागार प्रशासन ने बहन व भाइयों की मुलाकात कराई।
महिला बंदियों से राखी बंधवाने पहुंचे भाई : कारागार में निरूद्ध महिला बंदी श्यामकली, कुंवारा को सुबह से अपने भाईयों के आने का इंतजार था। जैसे ही उनके भाई कारागार पहुंचे बहनों की आंखों में खुशी झलकने लगी। करीब बीस महिला बंदियों के भाई कारागार राखी बंधवाने पहुंचे।
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जेल में रक्षाबंधन के दिन विशेष मिलाई कराई गई है। उनका प्रयास यही रहा है कि जेल में जो भी मिलने आया हो उसे कोई दिक्कत न हुई हो। कारागार में निरूद्ध 395 पुरूष बंदी की बहनों ने राखी बांधी वहीं 20 महिला बंदियों के भाइयों ने पहुंचकर राखी बंधवाई।
सुरेशचंद्र
जेलर, जिला कारागार