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..और हाथ से निकल गई दाल-रोटी

बाराबंकी : किसी से भी उसकी तंगहाली के बारे में पूछने पर अमूमन यही शब्द सुनने को मिलते रहे हैं कि ईश्

By Edited By: Published: Tue, 21 Apr 2015 12:02 AM (IST)Updated: Tue, 21 Apr 2015 12:02 AM (IST)
..और हाथ से निकल गई दाल-रोटी

बाराबंकी : किसी से भी उसकी तंगहाली के बारे में पूछने पर अमूमन यही शब्द सुनने को मिलते रहे हैं कि ईश्वर की कृपा से दाल रोटी चल रही है मगर अब दाल रोटी खा पाना सबके बस की बात नहीं रही। गेहूं के साथ ही दलहन व तिलहन की फसलें बारिश व ओलावृष्टि में 80 फीसदी तक बरबाद हो गईं। जिसके सदमे से किसानों के आंसू थम नहीं रहे हैं।

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किसानों के साथ ही आम आदमी के रोने की बारी आ गई है। दलहन और तिलहन के साथ-साथ गेहूं के दाम भी बाजार में तेजी से बढ़ने लगे हैं। जिले में करीब 20 हजार हेक्टेयर में दलहन व तिलहन की खेती नष्ट हुई है। सरसों का दाम पिछले साल की तुलना में एक हजार रुपये प्रति ¨क्वटल बढ़ा है जबकि अरहर की दाल फुटकर बाजार में 20 से 30 रुपये प्रति किलो तक बढ़ गए हैं। जिले के किसानों पर 95 करोड़ रुपये का कृषि ऋण है। जिले में 80 हजार सक्रिय किसान क्रेडिट कार्डधारक हैं जिनको अपना कर्ज अदा करने की बात तो दूर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाने के लिए जूझना पड़ रहा है।

फसल नुकसान की स्थिति

कुल रकबा-66754 हेक्टेयर

गेहूं-46000 हेक्टेयर

तिलहन-12000 हेक्टेयर

दलहन-8754 हेक्टेयर

नुकसान-101 करोड़ 24 लाख 66 हजार

कुल किसान-चार लाख 41 हजार

केसीसी धारक-दो लाख 94488

सक्रिय केसीसी धारक-80 हजार

केसीसी का कर्ज- 95 करोड़

फसल बीमा की प्रीमियम जमा करने वाले-36 हजार किसान

उत्पादन की स्थिति- प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 36 ¨क्वटल

नुकसान के बाद उत्पादन- 8-12 ¨क्वटल प्रति हेक्टेयर

मेहनत दोगुनी उत्पादन चौथाई

त्रिवेदीगंज ब्लॉक के ग्राम तिलोकपुर में नवल किशोर बाजपेई सवा एक बीघा गेहूं की फसल की मड़ाई के बाद निकले गेहूं को बोरियों में भरा जा रहा था। 'जागरण' प्रतिनिधि ने खेत के मालिक और फसल तैयार कर रहे लौनिहारों (रुपये की जगह पारिश्रमिक के रूप में फसल का हिस्सा लेने वाले श्रमिक) से बात की तो उनका दर्द छलक पड़ा। नवल के पुत्र श्यामू ने बताया कि पिछले बार इतने ही खेत में करीब छह ¨क्वटल गेहूं पैदा हुआ था। आज मुश्किल से 70 किलो गेहूं निकला है उसमें भी गेहूं का दाना सिकुड़ा व सड़ा हुआ शामिल है। लौनिहार विजय बहादुर ने कहा कि जितना गेहूं इस बार पैदा हुआ उतना गेहूं पिछले वर्ष लौनी के रूप में हमें मिला था। गेहूं खेत में गिर गया था इसलिए कटाई व मड़ाई में मेहनत भी दोगुनी करनी पड़ी। इसी गांव के राजू ने बगल के ही खेत में कटी पड़ी फसल को दिखाते हुए कहा कि सवा दो बीघा खेत में मात्र 24 बोझ निकली है जबकि पिछली बार करीब 55 बोझ निकली थी। राजू ने झट से फसल से पांच बालियां तोड़ी और हाथ पर मींजकर दाने गिने तो बमुश्किल पचास दाने हाथ में आए उसमें भी तीस प्रतिशत दाने कटे फटे थे। राजू ने बताया कि पिछले साल पांच बालियों में 200 दाने तक निकलते थे। इसी तरह इस गांव के मनोज कुमार, रवि प्रकाश शुक्ल, चंद्रशेखर मिश्र, कौशल किशोर मिश्र, श्रवण बाजपेई सहित करीब सवा सौ किसानों के खेतों में गेहूं की फसल का यही हाल है।


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