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बूंद-बूंद से भर रहे धरती की कोख

बाराबंकी : ¨सचाई के दौरान पानी की बर्बादी को रोकने के लिए जिले के फतेहपुर तहसील के दो किसानों ने बीड़

By Edited By: Published: Sat, 31 Jan 2015 12:04 AM (IST)Updated: Sat, 31 Jan 2015 12:04 AM (IST)
बूंद-बूंद से भर रहे धरती की कोख

बाराबंकी : ¨सचाई के दौरान पानी की बर्बादी को रोकने के लिए जिले के फतेहपुर तहसील के दो किसानों ने बीड़ा उठाया है। टपक पद्धति से फतेहपुर क्षेत्र के रमपुरवा के 49 वर्षीय किसान हरीश कुमार वर्मा ने केले की खेती व बेलहरा के 62 वर्षीय किसान रमेश चंद्र मौर्य ने अनार की खेती कर अन्य किसानों के लिए नजीर बने हुए है। दोनो कृषक स्वयं तो पानी बचाने के लिए टपक पद्धति से खेती कर ही रहे है। साथ अन्य किसानों को भी टपक पद्धति से खेती करने की सलाह दे रहे है।

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पानी की बर्बादी को रोकने के लिया निर्णय : रमपुरवा के उन्नतिशील कृषक हरीश कुमार वर्मा ने वैसे तो केले की खेती में पांच वर्ष कदम रखा। मगर केले की खेती में अधिक पानी की बर्बादी होने से वे आहत हुए और उन्होंने जल संरक्षित करने का बीड़ा उठाया। महाराष्ट्र प्रांत के जलगांव स्थित जैन ऐरीकेशन में जाकर वहां पर टपक पद्धति से खेती करने की विधि सीखी। एक एकड़ में वे वर्तमान समय में टपक पद्धति से केले की खेती कर रहे है, जिसमें पानी बहुत खपता था। हरीश बताते हैं जब से उन्होंने टपक पद्धति से केले की खेती शुरू की है तब से पानी की बर्बाद रुक गई है। जल संरक्षित होने से उन्हे सुकुन मिला है। समाजशास्त्र से एमए करे किसान हरीश कहते है कि वे टपक पद्धति से खेती कर संतुष्ट है। वे अन्य किसानों को भी टपक पद्धति से खेती करने की सलाह भी दे रहे हैं।

अनार की कर रहे सफल खेती : बेलहरा के उन्नतिशील कृषक 62 वर्षीय कृषक रमेश चंद्र मौर्य भी टपक पद्धति से अनार की सफल खेती कर रहे है। उन्होंने भी जलगांव महाराष्ट्र से टपक पद्धति से खेती करने की विधि सीखी है। डेढ़ एकड़ में 1400 अनार के पौधे रोपित किए है। पाइप द्वारा पौधों को बूंद-बूंद पानी दिया जा रहा है। वे कहते है की प्रदेश में पहली ऐसी उनकी अनार की खेती है जिन्हे ड्रिप द्वारा पानी दिया जा रहा है। अन्य किसानों के बारे में वे कहते है कि अगर टपक पद्धति से खेती की जाए तो पानी की बर्बादी काफी हद तक रुक जाएगी।


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