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अब मुलाकातियों का भी नहीं रखा जाता विवरण

बाराबंकी : जेल में निरुद्ध बंदियों व कैदियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए पुलिस विभाग ने दो बार

By Edited By: Published: Fri, 28 Nov 2014 12:20 AM (IST)Updated: Fri, 28 Nov 2014 12:20 AM (IST)
अब मुलाकातियों का भी नहीं रखा जाता विवरण

बाराबंकी : जेल में निरुद्ध बंदियों व कैदियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए पुलिस विभाग ने दो बार प्रयास किए। जेल पुलिस चौकी पर मुलाकातियों का संपूर्ण विवरण व फोटो आदि दर्ज करने के बाद ही पास देने की व्यवस्था की गई, लेकिन इस व्यवस्था को बंद हुए करीब तीन वर्ष हो चुके हैं। अब मुलाकातियों का कोई विवरण नहीं रखा जाता है। यही कारण है अंकुश हटने से सलाखों के पीछे सरगर्मी बढ़ गई और भीतर से भी जरायम की दुनिया में अपराधियों का नाता बना हुआ है।

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जेल के भीतर से भी अपराधियों का अपराध से रिश्ता नहीं टूट पाता है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अपराधों में बंदी व कैदियों के शामिल होने की बात समय-समय पर उजागर होती रही है। जिसके चलते जिला पुलिस ने जेल में निरुद्ध बंदियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए दो बार मुहिम शुरू की। वर्ष 2009 में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक आलोक ¨सह ने जिला कारागार के बाहर स्थित कोतवाली नगर की जेल पुलिस चौकी पर मुलाकातियों का विवरण एकत्र करने की शुरुआत की, लेकिन एसपी के हटने के कुछ ही माह बाद ही यह व्यवस्था बंद हो गई। इसके उपरांत वर्ष 2011 में एसपी रामकृष्ण भारद्वाज ने इस व्यवस्था को और सुधरे हुए रूप में शुरू कराया। एक साफ्टवेयर तैयार किया गया, जेल पुलिस चौकी पर अतिरिक्त तकनीकी स्टॉफ तैनात किया गया। इस साफ्टवेयर में मुलाकाती का नाम, पता, मोबाइल नंबर, जिससे मिलने आए उस बंदी अथवा कैदी का नाम व उससे रिश्ता और मुलाकाती जिस वाहन से आया है उसका संपूर्ण विवरण। यही नहीं मुलाकाती का वेब कैम में फोटो लेकर उसे फोटोयुक्त पास जारी किया जाता था। यह व्यवस्था भी एसपी राम कृष्ण भारद्वाज के तबादले के साथ बंद हो गई। अब इस दिशा में पुलिस विभाग कोई प्रयास नहीं कर रहा है।

जेल प्रशासन का विरोध

इस व्यवस्था में दोनों ही बार पुलिस प्रशासन को जेल प्रशासन का भारी विरोध झेलना पड़ा। प्रत्येक बार जेल प्रशासन द्वारा इस व्यवस्था में जेल मैनुअल में इसका कोई प्रावधान न होने की दुहाई दी गई। यही कारण है कि पुलिस इस दिशा में बहुत अधिक प्रयास नहीं करती है।

सीसीटीवी का विरोध : यही नहीं पुलिस प्रशासन को जेल के बाहर सीसीटीवी कैमरा लगाने में भी भारी विरोध का सामना करना पड़ा। यही नहीं बीच में एक सफेदपोश ने इस कैमरे को जबरन हटवा भी दिया था। जिसे एसपी अब्दुल हमीद द्वारा फिर से शुरू कराया गया है।

इस मुद्दे पर जेल अधीक्षक से वार्ता कर मुलाकातियों का पहचान पत्र अनिवार्य करने का प्रयास किया जाएगा। जिससे उसकी फोटो सहित संपूर्ण विवरण दर्ज किया जा सके।Þ

- अब्दुल हमीद, पुलिस अधीक्षक


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