छात्र जमीन पर, अधिकारी लैपटाप पर
बाराबंकी: सब पढ़ें सब बढ़ें शिक्षा विभाग का यह नारा परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों की दुर्द
बाराबंकी: सब पढ़ें सब बढ़ें शिक्षा विभाग का यह नारा परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों की दुर्दशा पर जिम्मेदारों के मुंह पर तमाचे जैसे लग रहा। पढ़ने-बढ़ने की बात छोड़िए छात्रों के बैठने के लिए विद्यालयों में टाटपट्टी तक दुरुस्त नहीं है। फटी टाटपट्टी मिलने पर छात्र जमीन में बैठने पर विवश हैं जबकि बीईओ सरीखे अधिकारी भव्य कार्यालय में बैठते हैं। उनकी उंगलियां कंप्यूटर पर थिरकती रहती हैं।
यह हालात देखने के लिए आपको कहीं सुदूर जाने की जरूरत नहीं है। हरख ब्लॉक के परिषदीय विद्यालयों में जाने पर फटी-पुरानी टाटपट्टी पर बैठे छात्र मिलेंगे। दिन गुरुवार, समय एक बजकर 48 मिनट, स्थान प्राथमिक विद्यालय जैनाबाद दो कमरे में करीब डेढ़ दर्जन छात्र बैठे हैं। इसमें से एक कमरे के छात्र फटी टाटपट्टी पर बैठने को मजबूर दिखे। टाटपट्टी इतनी जर्जर क्या पैसा नहीं मिलता सवाल के जवाब पर प्रभारी प्रधानाचार्य साहिबा खातून का कहना था कि पैसा मिलता है लेकिन टाटपट्टी अच्छी नहीं थी। इससे फट गई है। फटने के पीछे बच्चों को भी जिम्मेदार ठहराया। कहा पकड़कर खींचते रहते हैं।
कुछ ऐसी ही तस्वीर प्राथमिक विद्यालय न्योली में दिखी। यहां भी टाटपट्टी दुरुस्त नहीं थी। छात्र उन्हीं पर बैठे थे। शिक्षामित्र ने बताया कि यहां बंदर बहुत हैं। पकड़कर खींच ले जाते हैं। इससे टाटपट्टी फट जाती है।
परिषदीय विद्यालयों में रंगाई-पुताई, टाटपट्टी और अन्य सामानों की खरीद के लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। इसके बाद भी बदरंग तस्वीर अधिकारियों की कार्यप्रणाली बयां करने के लिए काफी है। दो विद्यालयों की तस्वीर तो बानगी है। कमोवेश हर विद्यालय में ऐसे ही हालात बताए जा रहे हैं।
नहीं होता निरीक्षण
सतरिख: हरख ब्लॉक क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों का निरीक्षण नहीं किया जा रहा है। बताया जाता है कि क्षेत्रीय अधिकारियों ने विद्यालय न आने वाले शिक्षकों के लिए आओ मिलो और समझो का सिस्टम बना रखा है। सिस्टम में फिट बैठने वालों पर विभाग मेहरबान है। इससे विद्यालयों का निरीक्षण नहीं किया जाता है।
शिक्षिकाएं गैरहाजिर
सतरिख: प्राथमिक विद्यालय न्योली की प्रधानाचार्य शबाना खातून दो बजकर 15 मिनट पर विद्यालय से नदारद थीं। बताया गया बैंक गई हैं। प्राथमिक विद्यालय जैनाबाद में भी एक शिक्षिका गैरहाजिर थी। अवकाश प्रार्थनापत्र नहीं था।