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देवा मेला का औपचारिक समापन आज

देवा (बाराबंकी): दस दिवसीय देवा मेले का सोमवार की शाम हाकी ग्राउंड पर भव्य आतिशबाजी के साथ समापन हो

By Edited By: Published: Sun, 19 Oct 2014 11:23 PM (IST)Updated: Sun, 19 Oct 2014 11:23 PM (IST)
देवा मेला का औपचारिक समापन आज

देवा (बाराबंकी): दस दिवसीय देवा मेले का सोमवार की शाम हाकी ग्राउंड पर भव्य आतिशबाजी के साथ समापन होगा। पुलिस अधीक्षक की पत्नी आतिशबाजी का शुभारंभ कर मेले के समापन की औपचारिक घोषणा करेंगी।

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जो रब है वही राम है का अमर संदेश देने वाले महान सूफी संत हाजी वारिस अली शाह के वालिद सैयद कुर्बान अली शाह दादा मियां की याद में लगने वाला दस दिवसीय देवा मेले का शुभारंभ 10 अक्टूबर को डीएम योगेश्वर राम मिश्र की धर्मपत्नी डॉ. सुधा मिश्रा ने शेख मोहम्मद हसन गेट पर फीता काटकर किया था। परंपरानुसार मेले का समापन पुलिस अधीक्षक की पत्नी द्वारा आतिशबाजी में आग लगाकर किया जाएगा। इस दौरान जिले के मशहूर आतिशबाज अपनी आतिशबाजी कला का प्रदर्शन करेंगे। मेले के समापन से पूर्व सदभावना हाकी मैच, स्मारिका का विमोचन एवं अन्य कार्यक्रम होंगे।

देवा मेला इस बार अपनी कुछ खासियतों के लिए लोगों के जेहन में अपनी याद छोड़ जाएगा। डीएम के समन्वय से मेले के सांस्कृतिक कार्यक्रमों को भी ऊंचाइयां मिलीं। मेले के आयोजन से जुड़ी हर व्यवस्था पर पैनी नजर के चलते इस बार कई खामियों से निजात मिली। मंच को जहां आकर्षक रूप दिया गया वहीं इसमें भारतीय संस्कृति की छाप लोगों के दिलों में घर कर गई। हुदहुद तूफान के असर से मेला प्रभावित तो जरूर हुआ परंतु अगले ही दिन मेला फिर अपने स्वरूप में पहुंच गया। मेले में भीड़ का रेला अंत तक बदस्तूर जारी रहा। मेला क्षेत्र में रैनबसेरा, शौचालय तथा स्नान की पर्याप्त व्यवस्था न होने से जायरीन को तकलीफें उठानी पड़ीं वहीं रैनबसेरों की कमी से काफी जायरीन खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर दिखे। सांस्कृतिक मंच पर लिटिल चैंप के रनर तन्मय, हंसराज हंस, मनोज तिवारी, राजू श्रीवास्तव, सपना अवस्थी ने जहां अपनी प्रस्तुतियों से मन मोहा वहीं युवा महोत्सव के तहत भारत की विभिन्न संस्कृतियों के रंग भी लोगों को देखने को मिले। छात्रों के कार्यक्रमों के अतिरिक्त कव्वाली, गजल, भजन एवं पारंपरिक संस्कृति तथा लोककला से जुड़े अनेक कार्यक्रमों ने प्रस्तुति के दौरान लोगों को बांधे रखा। कवि सम्मेलन में जहां ख्यातिलब्ध कवियों ने अपनी काव्य रसधार बहाई वहीं मुशायरे के दौरान लोग रात भर दाद देते रहे।


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