हॉकी खिलाड़ियों की उपेक्षा से पूर्व ओलंपियन दुखी
देवा (बाराबंकी): हॉकी प्रतियोगिता के समापन मौके पर पहुंचे पूर्व ओलंपिक खिलाड़ी र¨वद्र पाल ¨सह काफी उत
देवा (बाराबंकी): हॉकी प्रतियोगिता के समापन मौके पर पहुंचे पूर्व ओलंपिक खिलाड़ी र¨वद्र पाल ¨सह काफी उत्साहित दिखे। जागरण से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि पूर्व हाकी खिलाड़ियों की भी उपेक्षा की जा रही है। पूर्व हॉकी खिलाड़ियों से सहयोग न लिए जाने के कारण नए हाकी खिलाड़ियों को सही प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने अपने खेल की कुशलता एवं निपुणता के लिए पूर्व हॉकी खिलाड़ी कुंवर दिग्विजय ¨सह बाबू एवं झम्मन लाल शर्मा को श्रेय दिया। र¨वद्र का मानना है कि आज भी उन जैसे तमाम पूर्व हाकी खिलाड़ियों को यदि हाकी की नई पौध तैयार के लिए एडहाक के तौर पर अवसर दिया जाए तो कोई कारण नहीं भारतीय हाकी के सुनहरे दिन पुन: लौट आए। लखनऊ निवासी र¨वद्र पाल ने दो ओलंपिक खेलों क्रमश: मास्को ओलंपिक 1980 एवं लास एंजिल्स 1984 में सेंटर हॉफ की पोजीशन पर भारतीय हाकी टीम का प्रतिनिधित्व किया था। जिसमे 1980 मास्को ओलंपिक में भारतीय हाकी टीम ने स्वर्ण पदक प्राप्त किया था। खेल संगठनों में गैर खिलाड़ियों के वर्चस्व को र¨वद्र पाल खेल के विकास के लिए अच्छा नहीं मानते, लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था के चलते राजनीतिक पकड़ रखने वाले लोग या स्वयं राजनेता खेल संगठनों के मुखिया बने बैठे है। यह ¨चता का विषय है। एक सवाल के जवाब में कहा कि खेल पर प्रदेश सरकार बढ़ावा तो देती है पर्याप्त धन भी खर्च करती है, लेकिन जरूरत है एक सुनियोजित खेलनीति की। जिला स्तर पर इसे लागू कराना चाहिए।