बाढ़ क्षेत्र में पीने के पानी की समस्या गंभीर
रामनगर (बाराबंकी): कौन सा पानी पीते हैं बाढ़ पीड़ित ग्रामीण?यह जानने की शासन-प्रशासन को सुधि नहीं है। घाघरा नदी की भीषण बाढ़ के जलस्तर में सैकड़ों गांव में पीने के लिए शुद्ध पेयजल की समस्या विकराल बनी हुई है। इन गांवों में कम से कम तीन बार ऊंचे चबूतरे पर इंडिया मार्क हैंडपंप लगे होते तो शुद्ध पेयजल की समस्या से निजात मिल जाती।
उल्लेखनीय है कि बसपा शासनकाल में आयी वर्ष 2008-09 की भीषण बाढ़ में बाढ़ पीड़ितों की समस्या देखने जब रामनगर डाक बंगले पर आए थे तो जागरण प्रतिनिधि ने सवाल किया था कि पूरे बाढ़ क्षेत्र में जब सभी हैंडपंप व कुआं जलमग्न हैं तो गांव में रुके ग्रामीण कौन सा पानी पीते हैं और शासन ने शुद्ध पेयजल के लिए क्या व्यवस्था की है? तो वह चकित रह गए और जागरण के ऊंचे चबूतरे बनाकर हैंडपंप लगाने का सुझाव शासन-प्रशासन ने माना था। फिर कुछ गांवों में गिने-चुने हैंडपंप ऊंचे चबूतरों पर लगाए गए थे। पूरे क्षेत्र के बाढ़ग्रस्त सभी ग्रामों में प्राथमिकता के आधार पर हैंडपंप नहीं लगाए जाने से लोग गंदा बाढ़ का पानी पीने को मजबूर हैं। लोगों का कहना है कि हर वर्ष शुद्ध पानी के पाउच व प्लास्टिक जरीकैन वितरित किए जाते थे जो इस बार नहीं दिखे। प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया जो जीवन रक्षा के लिए नितांत आवश्यक था। इस बाढ़ में जीने के लिए पूड़ी-सब्जी की व्यवस्था तो की गई मगर पेयजल नहीं बंटा।