फिर बढ़ा घाघरा का जलस्तर, बेहाल हुआ जनजीवन
रामनगर (बाराबंकी): घाघरा का जलस्तर फिर तेजी से बढ़ने लगा है। गुरुवार को एल्गिन ब्रिज पर घाघरा का जलस्तर खतरे के निशान से 50 सेंटीमीटर अधिक रहा। प्रभावित गांवों में जाने के रास्ते तो बंद हैं ही बीमारियां इतनी तेजी से फैल रही हैं कि लोग परेशान हैं। अभी तक प्रभावित गांवों में इलाज के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। धान की फसल के गल जाने की आशंका जताई जा रही है।
घाघरा नदी के रेती व तराई में बसे गांवों की स्थिति दयनीय होती जा रही है। गांव को पानी फिर तेजी से घेरता जा रहा है। जमका के बिहारीलाल आदि का कहना है कि हमारे गांव टापू बने हैं। पशु व जनजीवन भीषण बाढ़ आने और गांवों में पानी भर जाने की आशंका से ऊहापोह की स्थिति है। पुरैना गांव के चारों ओर पानी तेजी से बढ़ता जा रहा है। बेहटा, तमस्सेपुर, कुड़ीन, खुज्झी, रैकोलवा, परशुरामपुर, फाजिलपुर, कुसौरा, देवरिया आदि गांव पहले से ही पानी से घिरे हैं। वहीं बढ़ता जलस्तर पर्वतपुर के मजरों बालगोविंदपुरवा, मिश्रीपुरवा, सुमिरनपुर व तपेसिपाह, सिसौंडा, जैनपुरवा की ओर तेजी से फैलता जा रहा है। यदि जलस्तर बढ़ा तो इन निचले और तराई के गांवों को पानी अपनी आगोश में ले लेगा। फसलें फिर तेजी से डूबती जा रही हैं। जिन खेतों में पानी भर गया था लगातार कड़ाके की धूप से धान की फसल गलने की स्थिति है। कमलेश आदि किसानों का कहना है कि घाघरा नदी के दक्षिण तटीय हमारे गांवों के पशुओं को भी परेशानी से गुजरना पड़ रहा है।
घाघरा नदी का बढ़ता जलस्तर गुरुवार की सुबह 106.566 मीटर पर पहुंच गया जो दिन भर स्थिर पाया गया। खतरे के निशान 106.070 मीटर से आधा मीटर पानी ऊपर है। घाघरा घाट के एल्गिन ब्रिज स्थित केंद्रीय बाढ़ पूर्वानुमान केंद्र के अनुसार शुक्रवार की सुबह तक बढ़कर जलस्तर 106.600 मीटर पर पहुंचकर बढ़ने का पूर्वानुमान है।
तहसीलदार प्रेमचंद्र मौर्य के अनुसार दो दिन पूर्व बनबसा बैराज से एक लाख 14 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था जिसके कारण पानी बढ़ा है। स्थिति नियंत्रण में है, चौकसी बरती जा रही है।