चूल्हे की चिंगारी से 31 घर राख
टिकैतनगर (बाराबंकी) : घाघरा के तटवर्ती गांवों में पछुवा हवाओं के झोकों से आग लगने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को दो गांवों में चूल्हे की चिंगारी से लगी आग से तीन दर्जन घर जलकर राख हो गए। सूबेदारपुरवा में ग्रामीणों की सूचना के बाद भी मौके पर दमकल कर्मी नहीं पहुंचे। जिससे यह पूरा मजरा जलकर राख हो गया। काफी देर से पहुंचे दमकलकर्मियों ने आग पर काबू पाया। घटना स्थल पर पहुंचे एसडीएम ने क्षति आकलन की रिपोर्ट तैयार कराई है।
थाना टिकैतनगर क्षेत्र के ग्राम सूबेदारपुरवा में दोपहर तीन बजे एक घर में दूध गर्म करते समय चूल्हे की चिंगारी से लगी आग से 31 घर जलकर राख हो गए। जिसमें त्रिभुवन, बदलू, विनय कुमार, रामकुमार, प्यारा, समोखन, राजू, परशुराम, बहादुर, छोटेलाल, रामनरेश, दिनेश, विनोद, अरविंद, दुखहरन, मुन्नीलाल, इंद्रकेश, रमेश चंद्र, रामू, राधेश्याम, राजपाल, मन्नू लाल, टन्नू, मिथिलेश, खलील, शकीला, वकील, शमीम, मजीद, गौस मोहम्मद के यहां पर खाने का तिनका भी नहीं बचा है। गांव में आग लगने की सूचना ग्रामीणों ने तत्काल पुलिस को दे दी थी लेकिन मौके पर स्थानीय थाने के उपनिरीक्षक सुनील कुमार मिश्र पुलिस बल के साथ पहुंचे। आग पर काबू पाने की कोशिश की। लेकिन दमकलकर्मी घंटों देर से पहुंचे तब तक पूरा का पूरा मजरा जलकर राख हो चुका था। यही नहीं आग लगने से अभी तैयार गेहूं की फसल भी जलकर राख हो गई। मौके पर एसडीएम अरुण कुमार व तहसीलदार घनश्याम सिंह ने राजस्वकर्मियों के साथ पहुंचकर क्षति का आकलन कराया। एसडीएम ने बताया कि आग से ग्रामीणों को काफी क्षति हुई। इनको हर संभव मदद उपलब्ध कराई जाएगी। जिस पर मंगलवार को 31 अग्निकांड पीड़ितों को सहायता राशि की चेक दे दी जाएगी। वहीं दूसरी ओर थाना क्षेत्र के बसौंगापुर में भी दुर्गेश व देशीदीन के घर में आग लग गई। जिसको ग्रामीणों की मदद से आग पर काबू पा लिया गया।
'भगवान भी कर रहा है अत्याचार'
टिकैतनगर : घाघरा के तटवर्ती गांवों में बाढ़ व अग्निकांड की विभीषिका ग्रामीणों का जीवन नारकीय हो गया है। छह माह पहले बाढ़ की बर्बादी झेलने के बाद अब अग्निकांड से गांव के मजरा का अस्तित्व खत्म हो गया है। सूबेदारपुरवा में लगी भीषण आग इसका उदाहरण हैं। यहां के निवासी रामू बाल्टी में पानी लेकर आग भी बुझाते हैं और चीख-चीख कर रोते हुए कहते हैं कि भगवान भी हम लोगों पर अत्याचार कर रहा है। अभी जुलाई माह में आई भीषण बाढ़ से सब कुछ पानी में बह गया था। अब आग लगने से पूरी की पूरी गृहस्थी जलकर राख हो गई। गांव में द्रोपता अपने दुंधमुंहे बच्चों को पकड़कर खूब रोती है। कहती है कि इनके जिंदगी में यही सब देखने को बचा है। गांव में लगी आग से हर तरफ कोहराम ही कोहराम सुनाई दे रहा है लेकिन आसपास के हर ग्रामीणों की कोशिश आग बुझाने में नाकाम रही।