शिक्षिका की तरह गुणा-भाग बता गई मायावती
बाराबंकी: चुनावी सभा को संबोधित करने आई्रं बसपा सुप्रीमो मायावती ने न केवल विरोधी दलों पर सियासी हमले किए बल्कि अपने कार्यकर्ताओं को हार-जीत का गुणा-भाग भी शिक्षिका की तरह समझाती रहीं। मुस्लिम वर्ग के मतों पर निगाह टिकाए बसपा ने मुस्लिम समाज को बसपा के साथ न केवल आने का निमंत्रण दिया बल्कि उन्हें इसके सियासी फायदे भी समझाए। पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने भाषण की शुरुआत में पहले सवाल दागा कि बसपा को ही वोट देना क्यों जरूरी है? फिर खुद ही एक-एक कर जवाब देती गई। बताया कि आजादी के बाद जितनी भी सरकारें आयीं उनमें सबसे ज्यादा केंद्र और राज्यों में भाजपा की सरकारें रहीं, लेकिन न दलित समाज को इसका लाभ मिला और न मुस्लिम समाज को ही। उन्हें यह भी बताया कि यह दोनों सरकारें आरक्षण समाप्त करना चाहती हैं। सचेत न रहे तो कानून बनाकर इसे समाप्त किया जा सकता है। इस खतरे के साथ-साथ उन्होंने सच्चर कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए मुस्लिमों की माली हालत की रूपरेखा खींची। उन्हें बताया कि उन्होंने 19 मुसलमानों को इस बार प्रत्याशी बनाया है। यदि मुसलमान और दलित मिल जाएं तो कम से कम 19 इन सीटों के साथ-साथ 17 सुरक्षित सीटें भी जीती जा सकती हैं। मुजफ्फरनगर और शामली दंगों का हवाला दिया। राज्य सरकार की कमियां गिनाई। सुप्रीम कोर्ट के हवाले से मुख्यमंत्री पर तीखे हमले किए। कहा कि सरकार की गलती से ही दंगा हुआ। जानती थीं कि ब्राह्माण मतदाता एक बार उनके साथ जुड़ चुका है। उन्होंने फिर पासा फेंका। गरीब सवर्णो के आरक्षण का। यह भी बताया कि सर्वाधिक 21 ब्राह्माण समाज के लोगों को टिकट दिया है। मोदी के प्रधानमंत्री बनने से होने वाले खतरे के प्रति भी आगाह किया। उन्हें आभास था कि बाराबंकी में दलित समाज का एक वर्ग एक दूसरे राजनीतिक दल के साथ जुड़ सकता है। दलित समाज को इस खतरे से आगाह करना वे नहीं भूलीं। फिर एक बार दोहराया कि डॉ. अंबेडकर को कांग्रेस ने किस तरह हराया था। प्रलोभन दिया कि सभी राजनीतिक दल अलग-अलग समाज के लोगों को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं। दलित समाज को भी दलित की बेटी प्रधानमंत्री बनाने के लिए वोट करना होगा। इस अवसर पर बाराबंकी प्रत्याशी कमला प्रसाद रावत, फैजाबाद प्रत्याशी जितेंद्र सिंह बब्लू, एमएलसी हरगोविंद सिंह, विवेकानंद पांडे, अमरेश शुक्ला, हफीज भारती, असलम अंसारी, रामसिंह चौहान आदि ने संबोधित किया।