योगी को दुखड़ा सुनाना चाहते हैं किसान
जागरण संवाददाता, बांदा : जिले के किसान अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपना दुखड़ा सुनाना चाहते हैं।
जागरण संवाददाता, बांदा : जिले के किसान अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपना दुखड़ा सुनाना चाहते हैं। शनिवार को मुख्यमंत्री जिले में होंगे, ऐसे में किसानों ने जिलाधिकारी से उनसे मुलाकात कराने की गुहार लगाई है। किसानों का कहना है कि जोत अधिनियम-1971 में बुंदेलखंड के किसानों को ढाई गुना कम उत्पादक माना गया है तो राहत के नाम पर उन्हें एक पैमाने में कैसे रखा जा सकता है। उत्पादकता के हिसाब से लघु व सीमांत का दायरा भी ढाई गुना बढ़ाया जाना चाहिए।
जिले के सफल किसानों में शुमार किए जाने वाले प्रेम ¨सह का कहना है कि बुंदेलखंड के किसानों की दशा नहीं देखी जाती है। उन्होंने डीएम को दिए गए पत्र में कहा कि ऋण माफी में लघु व सीमांत का दायरा बढ़ाने को उन्होंने पहले भी ज्ञापन दिया था। जिस पर कार्यवाही किए जाने का आश्वासन भी मिला था। मगर, अभी तक कोई ठोस कार्यवाही शासन द्वारा नहीं की गई है। अब जब मुख्यमंत्री एक बार फिर बुंदेली धरती पर आ रहे हैं तो किसान उनसे मिलकर अपना दुखड़ा सुनाने चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने डीएम से मुलाकात का समय दिलाने की मांग की है। किसान मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर यहां की स्थिति से अवगत कराना चाहते हैं।
(इनसेट)
भाकियू नेता ने भी समय मांगा
भाकियू (भानु) के बुंदेलखंड प्रवक्ता आशीष सागर ने भी डीएम को पत्र सौंपकर सीएम से मुलाकात का समय मांगा है। उन्होंने पत्र में कहा है कि मुख्यमंत्री से प्रदेश में तालाब विकास प्राधिकरण का गठन, बुंदेलखंड में नदी व पहाड़ से खनन पर्यावरण के लिहाज से करने, किसानों व मजदूरों की मौत पर मुआवजा दिए जाने, बुंदेलखंड विकास बोर्ड के गठन व माफिया से जमीन खाली कराए जाने की मांग करेंगे।
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दायरा बढ़ाए जाने से किसानों को होगा फायदा
लघु व सीमांत का दायरा उत्पादकता के हिसाब से ढाई गुना बढ़ाए जाने से वृहद किसान भी ऋण माफी का लाभ पा सकेंगे। अभी तक एक हेक्टेअर तक जोत वाले किसान सीमांत व एक से दो हेक्टेअर जोत वाले किसान लघु श्रेणी में आते हैं। ढाई गुना बढ़ने पर सीमांत किसानों का दायरा ढाई हेक्टेअर व लघु किसानों का पांच हेक्टेअर तक हो जाएगा। जिससे पांच हेक्टेअर तक के किसानों को ऋण माफी का लाभ मिल जाएगा।
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मंडल के लोगों की ये हैं अपेक्षाएं
- पेयजल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो
- सिंचाई के लिए किसान परेशान न हो
- अन्ना प्रथा समस्या का स्थायी समाधान हो
- पलायन रोकने को रोजगारपरक उद्योग स्थापित हो
- किसानों के उत्थान के लिए मंडल में चीनी मिल स्थापित हो
- बंद पड़े उद्योगों को गति मिले
- घटते जलस्तर की समस्या का समाधान हो