बाढ़ पीडि़तों की खेती चौपट,गृहस्थी का सामान भी हुआ खराब
¨तदवारी, संवादसूत्र : बाढ़ की विनाशकारी लीला ने लोगों का तबाही के कगार में खड़ा कर दिया है। घरों में
¨तदवारी, संवादसूत्र : बाढ़ की विनाशकारी लीला ने लोगों का तबाही के कगार में खड़ा कर दिया है। घरों में रखा गृहस्थी का सामान बाढ़ के पानी में खराब हो गया है। खेतों में खड़ी फसल को बाढ़ के पानी ने नेस्तनाबूत कर कंगाली के कगार पर कर दिया है। लोगों ने बताया कि वह न घर के रहे और न ही घाट के।
- बाढ़ पीड़ित रमपतिया बताती हैं कि घर में रखा खाने-पीने का सामान बह गया। घर बाढ़ की चपेट में खराब हो गया। खेतों में लहलहा रहीं फसल खराब हो गई। कैसे गुजर-बसर होगा। यह ¨चता खाए जा रही है।
- रामचरन बताते हैं कि पहले सूखे ने किसान का पेट सुखा दिया। अब बारिश की बाढ़ ने सब कुछ छीन लिया है। खेतों में कर्ज लेकर बीज बोया था अच्छी फसल की उम्मीद थी अरमानों में पानी फिर गया है।
- राजाभइया कहते हैं कि उन्हें नहीं लगता कि बाढ़ के बाद कोई भी घर ऐसा होगा जहां सबकुछ ठीक हो। सभी लोग बाढ़ के पानी से परेशान रहे। प्रभावित लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।