जागरण से प्रेरणा पाकर जलमित्र बने
¨तदवारी, संवादसूत्र : तलाश तालाबों की मुहिम का असर लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। जागरण की पह
¨तदवारी, संवादसूत्र : तलाश तालाबों की मुहिम का असर लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। जागरण की पहल में जागरूक नौजवानों के हाथ तालाबों की मदद को उठने लगे। ऐसी ही तस्वीर ¨तदवारी कस्बे में देखने को मिली। पेशे से ट्रैक्टर मैकेनिक रामप्रकाश प्रजापति ने तालाबों के अस्तित्व को लेकर चलाई गई मुहिम में कई तालाबों के घाटों को बनवाकर कराकर पानी से लबालब करने का काम कर डाला। रामप्रकाश की पहचान जलपुरुष के रूप में हो रही है। रामप्रकाश प्रजापति बताते हैं कि कस्बे के बड़ा तालाब का ऐतिहासिक महत्व है। चंदेल कालीन साम्राज्य की यह एक विरासत है। बड़ा तालाब को ही काले शहीद बाबा तालाब के नाम से भी जाना जाता है। तालाब के तट पर काले शहीद बाबा की मजार है जो कि लोगों के आस्था का केंद्र है। क्षेत्र से लोग मजार में माथा टेकने आते हैं। ऐसे में बड़े तालाब का महत्व बढ़ जाता है। बताया कि बड़े तालाब के किनारे बड़े-बड़े गड्ढे थे जिनका समतलीकरण कराया गया। तकरीबन डेढ़ लाख धीरे-धीरे खर्च हुआ। तालाब में पानी भराने के लिए 20 हजार का ठेका प्राइवेट नलकूप को देकर कराया गया। यह काम पट्टे धारक की सहमति से किया गया। श्री प्रकाश ने बताया कि जागरण ने गांव के सामाजिक सरोकार की मदद में लोगों की पहचान कर उनके जज्बे को तराशने का काम किया है। लोगों ने जागरण के अभियान की सराहना की है। जलमित्रों को भी जागरण ने सम्मान देककर उनका हौंसला बढ़ाया है। जागरण के अभियान की सफलता जलमित्रों के चल पड़े दो डग चल पड़े कोटि पग उसी ओर कविता को चरितार्थ करती है। सूखे तालाबो को भरने वाले लोगों की वजह से आज सैकड़ों लोगों की मदद हो रही है।