का¨लजर में मिला शेरशाह का शाही फरमान वाला शिलालेख
बांदा, जागरण संवाददाता : ऐतिहासिक दुर्ग का¨लजर में पांच सौ वर्ष पुराना शेरशाह का फरमानी फारसी साठ प
बांदा, जागरण संवाददाता : ऐतिहासिक दुर्ग का¨लजर में पांच सौ वर्ष पुराना शेरशाह का फरमानी फारसी साठ प्रष्ठीय अभिलेख खोजा गया है। यह सफलता पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को उस समय मिली जब वह का¨लजर का प्रामाणिक इतिहास लिखने के लिए खोज अभियान चला रहा था। इतिहासकारों के अनुसार का¨लजर में मई 1545 मे शेरशाह की मृत्यु के बाद बड़े लड़के इस्लाम शाह ने इस शाही फरमान का निर्माण करवाया था। का¨लजर में ही इस्लाम शाह की दिल्ली के ¨सहासन के लिए विधिवत ताजपोशी की गई थी। अजेय दुर्ग को लगभग एक साल के लंबे घेरे के बाद शुकराने की नमाज अदा करने के लिए यह मस्जिद आनन-फानन बनवाई गई थी। विशाल कोटि तीर्थ के परिसर में बने मंदिरों के सुंदर नक्काशीदार स्तंभों शहतीरों को तोड़कर एकत्र सामग्री मस्जिद के निर्माण में लगाई गई। मस्जिद के बगल में खुतबा पढ़ने के लिए एक प्लेटफार्म बनाया गया था जिसमें बैठकर इस्लाम शाह ने इस फरमान को सुनाया था। यह घोषणा की गई थी कि अब यह का¨लजर तीर्थ नहीं रहेगा। बुतपरस्ती हमेशा के लिए समाप्त। अब देश में यह प्रसिद्ध दुर्ग का¨लजर दुर्ग न कहलाकर शेरशाह की यादगार में शेरकोह के नाम से देश और दुनिया में जाना जाएगा। मस्जिद निर्माण के पहले इस्लाम शाह ने का¨लजर के यशस्वी राजा तथा विख्यात रानी दुर्गावती के पिता राजा कीर्ति ¨सह की 72 सहयोगियों सहित निर्मम हत्या की थी। सम्राट शेरशाह की विशाल सेना से लगभग एक वर्ष तक लोहा लेने वाले राजा कीर्ति ¨सह को अपने पिता की मृत्यु का कारण मानकर बंदीराजा का वध किया था तथा कोटितीर्थ के मंदिरों को तोड़कर भारी तबाही मचाई थी तथा किले में बचे हुए सैनिकों तथा अन्य निवासियों की सामूहिक हत्या कर भीषण रक्तपात किया था। शिलालेख की शाही घोषणा कि भविष्य में यह दुर्ग शेरशाह के स्मारक के रूप में शेरकोह के नाम से विख्यात होगा। बुंदेलखंड के बड़े समाजसेवी एवं का¨लजर पर लगातार कई वर्षों से काम कर रहे डा.बीडी गुप्ता बताते हैं कि पुरातत्वविद उच्च पुलिस अधिकारी विजय कुमार की एडीजी द्वारा चलाए जा रहे शिलालेख खोज अभियान में अब 180 अतिमहत्वूपर्ण ऐतिहासिक शिलालेख खोजे जा चुके हैं। का¨लजर विकास संस्थान के संयोजक श्री गुप्ता को विजय कुमार जी ने बताया है कि का¨लजर दुर्ग में ऐतिहासिक शिलालेखों की संख्या सर्वाधिक है। अभियान पूरा होने तक ये 300 तक हो सकते हैं। इनके अध्ययन से का¨लजर दुर्ग इतिहास संबंधी नई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक जानकारियां मिलेंगी और इन्हीं शिलालेखों से प्राप्त प्राचीनता व ऐतिहासिकता इसे विश्व धरोहर होने का अधिकारी होने में सहायता करेगी।