नहीं काम आए केसीसी, मुश्किल में मिला धोखा
बांदा, जागरण संवाददाता : भले ही केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) की स्कीम सरकार ने किसानों की मदद के लिए
बांदा, जागरण संवाददाता : भले ही केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) की स्कीम सरकार ने किसानों की मदद के लिए चलाई हो। लेकिन आपदा से जूझते बुंदेलखंड के किसानों को आज इस संकट की घड़ी में केसीसी भी राहत नहीं दे पा रहे हैं। सच तो यह है कि केसीसी मौजूदा हालात में किसानों के साथ धोखा साबित हो रहे हैं। आंकड़ों की माने तो जिले में लगभग ढाई लाख किसान हैं। इनमें लघु और सीमांत दोनों ही किसान शामिल हैं। इनमें से लगभग 70 फीसदी किसानों के पास केसीसी हैं। आपदा के समय में केसीसी से जहां बैंकों ने बीमा कंपनी को पूरा पैसा नहीं दिया है। वहीं कुछ मामलों में बीमा कंपनियों ने भी किसानों को नुकसान की भरपाई नहीं की है।
आंकड़ों पर गौर करें तो रबी फसल के दौरान 2015 में लगभग 26 करोड़ बीमा कंपनियों ने किसानों से कमा लिए हैं। यही हाल पिछली खरीफ की फसल में 2014 में रहा था। अरहर, ज्वार, मूंग, तिल, उर्द आदि बोने वाले 30383 किसानों ने अपनी 1,28685 हेक्टयर भूमि में फसलें बोई थीं। इसके लिए किसानों ने 42,24,72,939 रुपए का बीमा कराया था। इस बीमा का कितना पैसा किसानों को मिला। इसका हिसाब आज न तो बैंकों के पास है और न ही बीमा कंपनियों के पास कोई हिसाब है। इस दौरान खरीफ में 16 हजार 274 किसानों को लगभग 3 करोड़ रुपए बैंकों को दिए जाने की बात कही थी लेकिन ये पैसा भी पूरी तरह से किसानों को नहीं मिल पाया है। इन हालातों में एक बार भी रबी की फसल में केसीसी किसानों के लिए पूरी तरह से धोखा बन चुका है। सूत्रों की माने तो 5650 किसानों को दो करोड़ रुपए राहत के रूप में बांटे तो बीमा कंपनी ने इन किसानों से प्रीमियम के रूप में 2,10,69,174 रुपए कमा लिए हैं। प्रीमियम की यह राशि किसानों के खाते से ही उनकी रजामंदी बगैर काट ली गई। बड़ोखरखुर्द, अरबई के दर्जनों किसानों ने अपनी सर्वे रिपोर्ट हासिल करने के लिए तहसील दिवस में प्रार्थना पत्र दिए। लेकिन प्रशासनिक अधिकारी भी कोई जवाब नहीं दे पाए हैं।
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किसानों में बैंकों के प्रति आक्रोश
बांदा : हाल ही में बड़ोखर समेत एक दर्जन गांवों के किसानों ने तहसील दिवस व अन्य मौकों पर प्रदर्शन करते हुए फसल बीमा की मांग की। साथ ही किसानों ने हाल ही में अपर जिलाधिकारी के यहां प्रार्थनापत्र देकर कहा है कि बैंक उनके खातों से काटी गई प्रीमियम की राशि का ब्यौरा लिखित रूप से देने में आनाकानी कर रहा है। इससे हजारों किसान फसल बीमा के नाम पर ठगी का शिकार हो रहे हैं। अधिकारी उन्हें राहत के नाम पर भ्रमित कर रहे हैं।