Move to Jagran APP

आपसी एकता का प्रतीक खप्टिहा की रामलीला

खप्टिहाकलां, संवादसूत्र : कस्बे के रपरा मुहल्ले में आयोजित होने वाली रामलीला हिंदू-मुस्लिम एकता की म

By Edited By: Published: Thu, 02 Oct 2014 01:12 AM (IST)Updated: Thu, 02 Oct 2014 01:12 AM (IST)
आपसी एकता का प्रतीक खप्टिहा की रामलीला

खप्टिहाकलां, संवादसूत्र : कस्बे के रपरा मुहल्ले में आयोजित होने वाली रामलीला हिंदू-मुस्लिम एकता की मिशाल मानी जाती है। यह रामलीला वर्ष 1995 में स्थानीय कलाकारों द्वारा शुरू की गई थी।

loksabha election banner

इतिहास - कस्बे में रामलीला की शुरूआत वर्ष 1995 में मकर संक्रांति के पर्व में आयोजित की हुई थी। इस रामलीला में हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पत्रों का रोल अदा किया था। तब से आज तक यही परंपरा चली आ रही है। लोग इसे हिंदू-मुस्लिम एकता की मिशाल भी बताते हैं। कस्बे में होने वाली इस रामलीला में हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोग पत्रों का रोल आज भी अदा करते हैं।

विशेषताएं - यह रामलीला जनवरी महा में पड़ने वाली मकर संक्राति के पर्व में आयोजित होती है। इस रामलीला में ज्यादातर कलाकर कस्बे के ही होते हैं। रामलीला का स्थान बस स्टाप होने से लोगों के आने जाने के लिए सुलभ साधन होता है।

हमारी बात

- चतुर सिंह बताते हैं कि कस्बे की रामलीला कई वर्ष पुरानी है। हिंदू-मुस्लिम की एकता पूरे देश के लिए नजीर है।

- मुन्नू साहू ने कहा कि रामलीला से हमारा समाज अपनी संस्कृति से दूर नही होता है। बल्की वह परिचित होता है कि राम क्यों भगवान है।

- बल्देव यादव कहते हैं कि रामलीला में सभी धर्मो के लोगों का जो सहयोग होता है। वह शायद ही कहीं होता हो।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.