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मिशन हुआ फेल, नारों में खप गई लाखों की धनराशि

By Edited By: Published: Sun, 31 Aug 2014 01:02 AM (IST)Updated: Sun, 31 Aug 2014 01:02 AM (IST)
मिशन हुआ फेल, नारों में खप गई लाखों की धनराशि

बांदा, जागरण संवाददाता : 14 वर्ष की आयु के बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने की सरकार की मुहिम फेल सी हो गयी। इसके लिये आवंटित की गयी धनराशि शायद नारों में खपा दी गयी तभी तो आज भी बच्चे पढ़ने के बजाय काम करने को मजबूर हैं।

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सर्व शिक्षा अभियान के तहत परिषदीय विद्यालयों द्वारा जुलाई और अगस्त माह में स्कूल चलो रैली निकला कर शिक्षा के प्रति समाज में जागरूकता और लोगों को शिक्षा के महत्व को बताकर बच्चों को स्कूल भेजने की पहल की जाती है। इसी के साथ बेसिक शिक्षकों को 6 से 14 वर्ष के उन बच्चों को भी चिंहित कर स्कूल लाने का प्रयास करना होता है जो बाल मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। अभियान के तहत विभाग ने हर बिंदु पर चौके-छक्कों की बरसात कर फाइलों में वाहवाही भले की कमा ली हो पर हकीकत कुछ और ही है। देहात क्षेत्रों की बातों को तो छोड़ों यहां मुख्यालय पर ही बाल मजदूरी करते बच्चें देखने को मिल रहे हैं। हैरत की बात तो यह है कि अब इन बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने की जिम्मेदारी किसकी है। इस पर बेसिक शिक्षा विभाग और बाल श्रम विभाग में खींचतान मची हुई है। दोनों ही विभाग एक दूसरे की जिम्मेदारी तो बता रहे हैं। लेकिन इसके लिये आवंटित रकम किसने कहां खर्च की इसका कोई सही जवाब नहीं दे पा रहा है।

जिलाधिकारी हरेंद्र वीर सिंह ने कहा कि जल्द ही टीम गठित कर होटलों व चाय की दुकानों में काम कर रहे बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने कार्य किया जाएगा। रही बात कार्रवाई की तो जांच कर यह भी पता लगाया जाएगा कि किसने क्या किया और धनराशि कैसे और कहां खर्च की।


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