संवेदनशील करतल में नहीं खुली रिपोर्टिग चौकी
करतल, संवाद सूत्र : उत्तर-प्रदेश व मध्यप्रदेश की सीमा पर बसे कस्बा करतल के आसपास बदमाशों की चहलकदमी बनी रहती है। दूर-दूर तक पहाड़ों से घिरा जंगल इनकी पनाहगाह के लिए वरदान साबित होता है। पीड़ित ग्रामीण रिपोर्टिग चौकी न होने से कई किमी. दूर नरैनी जाने को विवश रहते हैं। रिपोर्टिग चौकी बनाएं जाने की मांग काफी समय से चली आ रही है। जनपद में रह चुके तीन पूर्व पुलिस कप्तान की ओर से करतल चौकी को थाना बनाएं जाने का प्रस्ताव भी शासन को भेजा जा चुका है।
बीते कई सालों तक करतल पुलिस चौकी को रिपोर्टिग का अधिकार प्राप्त था। करीब एक दशक से अधिकार समाप्त है। सीमावर्ती होने से घटनाओं का जहां जोर रहता है। वहीं क्षेत्रवासी खुद की सुरक्षा को लेकर रिपोर्टिग चौकी की आवाज उठा चुके हैं। चौकी का सीमित पुलिस बल बड़ी समस्याओं से निपटने के लिए नाकाफी होता है। रिपोर्ट दर्ज कराए जाने को लेकर पीड़ित को खासी जद्दोजहद करनी पड़ती है। करतल सहित आसपास के दर्जनों गांवों व मजरों के ग्रामीणों ने रिपोर्टिग चौकी किए जाने की मांग उठाई है।
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थाने का प्रस्ताव भेजने वाले पूर्व एसपी
1- विनोद कुमार सिंह
2- उदय शंकर जायसवाल
3- अरविंद सेन यादव
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आधा दर्जन हैं हिस्ट्री शीटर
करतल: सीमावर्ती होने की वजह से करतल चौकी बेहद ही संवेदनशील मानी जाती है। सीमा पार व क्षेत्रीय बदमाशों का भय यहां निरंतर बना रहता है। मौजूदा समय में करीब आधा दर्जन अपराधियों की हिस्ट्रीशीट चौकी में खुली हुई है। हिस्ट्रीशीटरों में कुछ हत्या जैसे जघन्य अपराधों में वांछित हैं। अन्य हिस्ट्रीशीटरों में राजा उर्फ संतोष व चुन्नू फिलहाल बांदा जेल में सजा काट रहे हैं। ईनामी बदमाश सुरेश उर्फ बाई भी जेल की सलाखों में कैद है। तमाम छुटभैये बदमाश भी भय बनाए रहते हैं। सुरक्षा का दारोमदार गिनती के सिपाहियों के भरोसे पर है।