वेदों में है ईश्वर के स्वरूप का वर्णन : जयप्रकाश
बलरामपुर :आर्य समाज वैदिक सिद्धांतों का पालन करता है। वैदिक सिद्धांत ही पूरी सृष्टि का सही चित्रण कर
बलरामपुर :आर्य समाज वैदिक सिद्धांतों का पालन करता है। वैदिक सिद्धांत ही पूरी सृष्टि का सही चित्रण करते हैं। निराकार ब्रह्मा की आराधना का सही मार्ग वेदों में ही निहित है। आर्य समाज के 84वें वार्षिकोत्सव के दौरान आर्य समाज परिसर में ईश्वर का स्वरूप तथा आर्य सिद्धांत विषय पर बोते हुए आर्य विद्वान जयप्रकाश आर्य ने कहा कि ईश्वर की आराधना आर्य सिद्धांतों से की जा सकती है। जीवन जीने की शैली से लेकर आजीविका कमाने तक की जानकारी आदिकाल से वेदों में दे दी गई थी। इन्हीं वेदों के सहारे अमेरिका तथा विश्व के कई देशों की तकनीकें काफी आगे निकल चुकी हैं।
इटावा की आर्य विदुषी क्षमा पुरवार ने कहा कि वेदों में ईश्वर के स्वरूप का वर्णन किया गया है। जो वायु, जल भूमि, गगन तथा अग्नि के रूप में माना जाता है। आर्य सिद्धांत में हवन तथा यज्ञ का महत्व इसलिए महत्वपूर्ण है। क्योंकि इससे प्रकृति का शुद्धिकरण होने के साथ संपूर्ण मानवजाति को कल्याण करता है। 27 फरवरी तक चलने वाले वार्षिकोत्सव के दौरान विभिन्न विषयों पर सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान जोगी प्रसाद आर्य, गुरमीत आर्य, रामदेव आर्य, सचिन आर्य व सुरेंद्र प्रताप गुप्त समेत अनेक आर्य विद्वान तथा स्थानीय लोग मौजूद रहे।