बलरामपुर के 722 गांव में बंद कर दी गई मनरेगा योजना
वेबसाइट की रिपोर्ट में सिर्फ 79 ग्राम पंचायतों में रोजगार सृजन किया जा रहा है, गांवों में काम बंद होने से जाब कार्ड धारकों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है।
बलरामपुर (अमित श्रीवास्तव)। ग्रामीण बेरोजगारों को गांव में ही रोजगार मुहैया कराने के लिए संचालित महत्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) जिले में पूरी तरह बेपटरी हो गई है। 801 ग्राम पंचायतों में से 722 में इस योजना से एक भी कार्य वर्तमान समय में नहीं कराया जा रहा है। इन गांवों में योजना पूरी तरह बंद है।
गांवों में काम बंद होने से जॉब कार्ड धारक श्रमिक खाली हाथ बैठे हैं। जिले में नौ विकास खंड हैं। इनमें से पांच विकास खंडों के गिनती के गांवों में ही काम चल रहा है। चार ब्लॉक तुलसीपुर आंशिक, गैंड़ास बुजुर्ग, गैंसड़ी व रेहरा बाजार के एक भी गांव में बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए कोई कार्य मनरेगा से नहीं कराया जा रहा है। ऐसे में गांव के बेरोजगार शहर की तरफ पलायन को मजबूर हैं। जिले की वेबसाइट पर 1.04 लाख सक्रिय जॉबकार्ड धारक श्रमिक हैं और 722 ग्राम पंचायतों में रोजगार के लिए कोई कार्य न होना दर्शाया गया है।
वेबसाइट की रिपोर्ट में सिर्फ 79 ग्राम पंचायतों में रोजगार सृजन किया जा रहा है। गांवों में काम बंद होने से जाब कार्ड धारकों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। अधिकांश गांवों में कराए गए कार्यों की एमआइएस फीडिंग न होने से भी मनरेगा योजना बेपटरी हो गई है। इसके लिए सभी खंड विकास अधिकारियों को नोटिस भी दी गई है लेकिन उसके बाद भी सुधार नहीं हुआ है।
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श्रम उपायुक्त मनरेगा बाल गोविंद शुक्ल का कहना है कि जिले के 250 ग्राम पंचायतों का मस्टर रोल जारी हुआ है। इन सभी गांवों में कार्य चल रहा है। अन्य ग्राम पंचायतों में भी कार्य शुरू करने के लिए निर्देश दिए गए हैं। बजट की कमी नहीं है। श्रमिकों के बैंक खाते में सीधे धनराशि भेजी जाती है। एमआइएस फीडिंग का कार्य सुस्त चल रहा है जिसे तेज करने की हिदायत दी गई है।
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