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अब मेले की ओर बढ़ रहा लोगों का रुझान

By Edited By: Published: Fri, 11 Apr 2014 12:09 AM (IST)Updated: Fri, 11 Apr 2014 12:09 AM (IST)
अब मेले की ओर बढ़ रहा लोगों का रुझान

तुलसीपुर (बलरामपुर) : नवरात्र समाप्त होने के साथ ही अब लोगों का रुझान मेले की ओर बढ़ने लगा है। सायंकाल से ही मेले में लोगों की आमद बढ़ जाती है तथा लोग मेले का भरपूर लुफ्त उठा रहे हैं। देवीपाटन मेले का इतिहास काफी प्राचीन है। रियासत जमाने से पूर्व भी इस मेले का संचालन यहां होता था। बुजुर्ग रामकृपाल का कहना है कि समय के साथ मेले का स्वरूप अब बिल्कुल बदल गया है। पहले अनाज, मसाले व अन्य आवश्यक वस्तुओं की खरीददारी लोगों द्वारा पूरे वर्ष के लिए किया जाता था। इसके अलावा नेपाली मेलार्थियों का जत्था भी आकर उक्त सामानों के अलावा कपड़े आदि खरीदारी कर फिर लौट जाते थे। अब तो समय के साथ-साथ बाजार का स्वरूप भी बदला है, गांव-गांव तक दुकानें खुल गई, जिससे लोगो को सामान मिलने में सहूलियतें होने लगीं। इन सामानों की खरीदारी भले ही लोगों ने बंद कर दिया हो, लेकिन अब भी हर माल एक दाम, बक्से की दुकान, बनारसी साड़ियां, कालीन, कानपुर के जूते, काकरी के सामानों को मेलार्थियों द्वारा जमकर खरीदारी की जाती है। नेपाली मेलार्थियों का जत्था भले इस मेले में राशन खरीदने नहीं आता, लेकिन दूर-दूर से आए सर्कस, कालाजादू, विभिन्न प्रकार के झूले, आकर्षक फोटोग्राफी विभिन्न शहरों में जायकेदार भोजन बनाने में मशहूर होटलों का लुफ्त उठाने लोग जरूर आते हैं। उत्तर भारत के इस प्रसिद्ध मेले में नेपाल से भारी मात्रा में नेपाली आकर इस मेले का आनंद लेते हैं। इस बार राज सर्कस, विभिन्न प्रकार के मशहूर झूले व काला जादू लोगों के आकर्षण को केंद्र बने हुए हैं।

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-बंद हो गया घोड़ों का मशहूर मेला

घोड़ों की टापों का स्थान फर्राटे भरते धुएंदार गाड़ियों ने ले लिया। लोगों को इनके खरीद फरोख्त का रुझान कम हो जाने से सदियों से चले आ रहे करबान बाग घोड़े-हाथियों का मेला भी बंद हो गया। लोग अब इस मेले में घोड़ों के करतब देखने से महरुम हो गए। पहले नवरात्र शुरू होते ही काबुल कंधार से लेकर विभिन्न राज्यों से यहां घोड़ों और हाथियों के खरीद -बिक्री का मेला लगता था। घुड़सवार इस दौरान अपने घोड़े की श्रेष्ठता साबित करने के लिए विभिन्न करतब करते थे, जिसे देखने के लिए लोगों को उत्सुकता रहती थी। एक दशक पूर्व इस मेले का आयोजन बंद कर दिए जाने से लोगों में निराशा है।


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