जिम्मेदार ही कर रहे मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़
बलरामपुर : स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक ही जिले के मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। जिसके चल
बलरामपुर : स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक ही जिले के मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। जिसके चलते मरीजों को सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। कुछ ऐसा ही नजारा शनिवार को पूर्वाह्न 11 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पचपेड़वा में दिखा। जब चिकित्सकों ने गंभीर रूप से बीमार बालिका बिना प्राथमिक उपचार के ही रेफर कर दिया। परिजन एंबुलेंस के लिए ऑपरेटर से बात करने के लिए चिकित्सकों से गिड़गिड़ाते रहे लेकिन किसी भी चिकित्सक ने एंबुलेंस के ऑपरेटर से बात करने जहमत नहीं उठाई उलटा अपना कमरा छोड़ कर चले गए।
नई बजार पचपेड़वा निवासी विजय कुमार ने बताया कि उसकी 17 वर्षीय बेटी अंजनी को कई दिनों से बुखार हो रहा था। शनिवार की सुबह उसने अचानक बोलना ही बंद कर दिया। आनन-फानन में परिजन उसे लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पचपेड़वा पहुंच। ओपीडी में तैनात चिकित्सक डॉ. मिथिलेश कुमार ने बालिका को देखते ही उसे रेफर कर दिया। परिजनों को डिस्चार्ज पेपर लेकर जाने को कहा। आरोप है कि इस दौरान परिजन लगातार बालिका का प्राथमिक उपचार करने के लिए चिकित्सकों से गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन किसी भी चिकित्सक ने मरीज का प्राथमिक उपचार करने की जरूरत नहीं समझी। इसी बीच बालिका के चाचा राम अवतार मरीज को जिला अस्पताल ले जाने के लिए 108 नंबर पर फोन करने लगे। फोन पर बात कर रहे आपरेटर ने रामअवतार से केंद्र पर तैनात चिकित्सक से बात कराने को कहा। जिससे मरीज की बीमारी का कारण जानकर एंबुलेंस भेजी जा सके। इस पर सीएचसी का कोई भी चिकित्सक अथवा फार्मासिस्ट ऑपरेटर से बात करने को तैयार ही नहीं हुआ। परिजन मोबाइल फोन लिए केंद्र पर एक कमरे से दूसरे कमरे का चक्कर काटते रहे लेकिन किसी ने भी ऑपरेटर से बात नहीं की। आरोप है कि इस दौरान चिकित्सक अपना कमरा छोड़कर ही चले गए। आपरेटर से चिकित्सक अथवा फार्मासिस्ट की बात न होने पर रामअवतार को एंबुलेंस नहीं मिली। और परिजनों को मजबूरी में गंभीर रूप से बीमार बालिका को प्राइवेट वाहन से जिला अस्पताल लेकर आना पड़ा।
- क्या है नियम
एंबुलेंस सेवा के जिला समंवयक (डिस्टिक कोऑडिनेटर) अंकुर अवस्थी ने बताया कि एंबुलेंस सेवा संचालित कर रही संस्था को स्पष्ट निर्देश है कि रेफर केस के लिए ऑपरेटर बिना चिकित्सक अथवा केंद्र पर तैनात फार्मासिस्ट से बात किए एंबुलेंस स्वीकृत नहीं करता है। इस लिए मरीज को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल जाने के लिए रेफर करने वाले चिकित्सक से ऑपरेटर की बात कराना अनिवार्य है।
गंभीर हालत में केंद्र पर लाई गई मरीज अंजनी को प्राथमिक उपचार (सुई लगाने) के बाद ही उसे रेफर किया गया है। इसी बीच अपर सीएमओ डॉ. जयंत कुमार के भगवानपुर खादर जाने की सूचना पर मैं केंद्र से निकल गया था। मैंने डॉ. रईश को ऑपरेटर से बात कर मरीज को एंबुलेंस दिलाने को कहा था। जबतक एंबुलेंस मरीज को लेने केंद्र पर पहुंचती तब तक परिजन उसे निजी वाहन से ले जा चुके थे।
-डॉ. मिथिलेश कुमार, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी
सीएसची पचपेड़वा