कागजों में हो रहा स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण
बलरामपुर : बच्चे व किशोरों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा जिले म
बलरामपुर : बच्चे व किशोरों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा जिले में चलाया जा रहा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) कागजों में ही चल रहा है। विभाग द्वारा इस कार्यक्रम पर प्रतिमाह दस लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन इस कार्यक्रम का लाभ कितने बच्चों को मिल रहा है विभाग के पास इसकी कोई जानकारी नहीं है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य कें लिए वर्ष 2011 में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) चलाया गया। इस योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग प्रत्येक ब्लॉक में चिकित्सक, आप्टोमेट्रिस्ट, फार्मासिस्ट अथवा स्टॉफ नर्स की कुल दो-दो टीमें तैनात की गई। इन टीमों को ब्लॉक में संचालित सभी विद्यालय (प्राथमिक से इंटरमीडिएट तक) व आंगनबाड़ी पर जाकर छह से 18 वर्ष तक के बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण करने, सामान्य रुप से बीमार बच्चों स्कूल में दवा देने व गंभीर रुप से बीमार बच्चों को निकट के स्वास्थ्य केंद्र अथवा जिला अस्पताल रेफर करने की जिम्मेदारी दी गई। इसके लिए ब्लॉक स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों दोनों टीमों के लिए अलग-अलग वार्षिक कार्य योजना भी बनाई जाती है। इसमें सभी टीमों को सप्ताह में पांच दिन (सोमवार से शुक्रवार) तक क्षेत्र में रहने एवं शनिवार को स्वास्थ्य केंद्र पर बैठकर अभियान में चिह्नित किए गए बच्चों का इलाज करने की बात की गई है। साथ ही सभी टीमों को क्षेत्र में चलने के लिए गाड़ियां भी उपलब्ध कराई गई हैं, लेकिन इनके बावजूद अधिकांश टीमें कागजों में ही बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण कर रही हैं। इस बात की पुष्टि सदर ब्लॉक में संचालित स्कूल के प्रधानाचार्य व शिक्षकों करते हैं। स्थित यह है कि अधिकांश स्कूल के शिक्षकों को इस योजना की कोई जानकारी नहीं है। शिक्षक पांच साल में एक बार भी ऐसी किसी टीम के स्कूल में आने व बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण करने की बात से इंकार करते हैं।
- प्रति माह दस लाख रुपये होता है खर्च
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के नौ ब्लॉकों में आरबीएसके कार्यक्रम के लिए कुल 18 टीमें लगाई गई हैं। इन टीमों के चिकित्सा व कर्मचारियों को दिया जाने वाला वेतन व उनके आवागमन के लिए लगाए गई गाडि़यों आदि पर विभाग द्वारा प्रतिमाह लगभग दस लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
-बीमार बच्चों की नहीं है कोई जानकारी
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस कार्यक्रम के तहत जून महीने में 18 टीमों द्वारा कुल 478 केंद्रों पर 19191 बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण करने व इस दौरान बीमार पाए 306 बच्चों को विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों पर रेफर किए जाने की बात कह रहे हैं, लेकिन उसके बाद उक्त बच्चे स्वास्थ्य केंद्र पर आए अथवा नहीं आए इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को कोई जानकारी नहीं है।
शुरुआत में आरबीएसके कार्यक्रम के तहत लगाई गई टीमों द्वारा स्कूल में न जाने की शिकायत मिली थी। इसके कार्यक्रम की मानीट¨रग के लिए वाट्सएप पर इसके लिए विशेष गु्रप बनाया गया है। इसमें प्रतिदिन सभी टीमें अपनी गतिविधियां दर्ज कराती हैं। इसके अलावा प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र पर इस कार्यक्रम के लिए चिह्नित किए गए मरीजों की अलग से एक पंजिका बनाने का निर्देश भी दिया गया है। शासन द्वारा इस कार्यक्रम को बेहतर बनाने के लिए जिले में आरबीएसके का जिला समंवयक भी तैनात किया गया है। इस कार्यक्रम में लापरवाही करने वाले चिकित्सा व कर्मचारियों पर प्रभावी कार्रवाई की जाएगी।
- डॉ. आशुतोष गुप्त
मुख्य चिकित्सा अधिकारी