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डॉक्टरों के पहुंचने तक मरीज हो जाते हैं बेहाल

बलरामपुर: जिला मेमोरियल अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं सुधरने के बजाए और बिगड़ती जा रही हैं। अस्पताल तो

By Edited By: Published: Mon, 31 Aug 2015 11:31 PM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2015 11:31 PM (IST)
डॉक्टरों के पहुंचने तक मरीज हो जाते हैं बेहाल

बलरामपुर: जिला मेमोरियल अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं सुधरने के बजाए और बिगड़ती जा रही हैं। अस्पताल तो समय से खुल जाता है, लेकिन डॉक्टर साहब नहीं आते। इस कारण मरीजों को घंटों बैठकर डॉक्टर का इंतजार करना पड़ता है। कई ऐसे भी लोग होते हैं जो विवश होकर लौट जाते हैं। यह हाल नगर के जिला मेमोरियल अस्पताल का जहां अक्सर डॉक्टरों की लेटलतीफी सुर्खियों में रहती है। सोमवार को सुबह पौने नौ बजे सीएमएस समेत कई डॉक्टरों की कुर्सी खाली थी। प्रस्तुत है अस्पताल की हकीकत बयां करती रिपोर्ट।

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संयुक्त जिला चिकित्सालय दूर होने के कारण बड़ी संख्या में मरीज सुविधा को देखते हुए नगर स्थित जिला मेमोरियल अस्पताल में अधिक आते हैं। उम्मीद रहती है कि डॉक्टर साहब देखकर जल्दी से दवा देंगे और वे घर वापस लौट जाएंगे, लेकिन यहां होता ठीक इससे उल्टा है। सुबह आठ बजे से अस्पताल खुल गया था। मरीज इधर-उधर बैठकर डॉक्टर का इंतजार कर रहे थे। अस्पताल में डॉ. जय प्रकाश का कक्ष तो खुला था, लेकिन कुर्सी खाली थी। एक अन्य कक्ष के सामने मरीज एकत्र थे, लेकिन वहां बैठने वाले डॉ. पीके सिंह की कुर्सी खाली थी। गनीमत रही कि डॉ. अरविंद कुमार अपने कक्ष में बैठकर मरीज देख रहे थे। इस कारण कुछ लोग राहत में दिखे। हद तो तब हो गई जब अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसएच आई जैदी स्वयं नदारद थे। ऐसे में स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस अस्पताल का मुखिया ही गायब हो तो मातहतों से कैसी उम्मीद की जा सकती है। अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर बंद था। कुछ लोग बाहर टहल रहे थे।

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-निराश दिखे मरीज व तीमारदार

रामनगर से उपचार कराने आए ननके कहते हैं कि वह जब भी अस्पताल आते हैं डॉक्टर साहब का ऐसे ही इंतजार करना पड़ता है। आज जिसे दिखाना है वह आए ही नहीं हैं। जुड़ीकुइंया निवासी सूरजलाल सात बजे ही जिला अस्पताल पहुंच गए थे। एक घंटे बाद अस्पताल तो खुला लेकिन उन्हें भी डॉक्टर साहब नहीं मिले। वह कहते हैं कि इस उम्मीद के साथ अस्पताल आए थे कि डॉक्टर को दिखाकर जल्द लौट आएंगे, लेकिन यहां कोई मिलता ही नहीं है। मिर्जापुर के राम लौटन तो निराश होकर लौट रहे थे। उनका कहना है कि यहां तो कोई सही से बताता भी नहीं है कि साहब कब आएंगे। इसी तरह सरदारगढ़ के राममनि कहते हैं कि गांव-गांव से लोग बड़ी उम्मीद लेकर आते हैं, लेकिन यहां आकर निराशा हाथ लगती है। समय से डॉक्टर साहब बैठते तो लोगों की तकलीफ और न बढ़ती।

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डॉ. पीके सिंह व डॉ. जयप्रकाश छुट्टी पर थे थोड़ा विलंब से आए हैं। डॉ. संतोष इमरजेंसी ड्यूटी पर थे और मैं भी वहीं था। व्यवस्था में निरंतर सुधार हो रहा है। मरीजों को हरसंभव सुविधा दी जा रही है।

-डॉ. एसएच आई जैदी

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक


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