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दो वक्त की रोटी के जुगाड़ में उलझा बालपन

बलरामपुर : योजनाएं कोई भी हो और इस पर चाहे जितने करोड़ खर्च कर दिए जंक, लेकिन धरातल पर दिख रही तस्वीर

By Edited By: Published: Wed, 29 Jul 2015 11:57 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2015 11:57 PM (IST)
दो वक्त की रोटी के जुगाड़ में उलझा बालपन

बलरामपुर : योजनाएं कोई भी हो और इस पर चाहे जितने करोड़ खर्च कर दिए जंक, लेकिन धरातल पर दिख रही तस्वीर काफी भयावह है। गरीबी मासूम बच्चों को स्कूल से वंचित कर रही है। नया सत्र प्रारंभ हो चुका है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत कोई बच्चा ड्राप आउट न हो तथा स्कूल में उपस्थिति शत प्रतिशत हो इसके लिए कागजी कोरम तो पूरे कर दिए जाते हैं, लेकिन क्षेत्र में इसकी तस्वीर स्याह ही दिखती है। जागरण टीम ने कई होटल व दुकानों का जायजा लिया जहां दस साल से छोटे बच्चे बर्तन साफ करने से चाय देने तक के कार्य में लगे हुए है। इससे मासूमों को बाल्यावस्था बालश्रम की भेंट चढ़ गया है।

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केस एक - पचपेड़वा के पास एक छोटी चाय की दुकान केवल पिता और उसकी सात वर्ष की बेटी चला रही है। पिता चाय व अन्य सामान बनाता है उक्त बच्ची ग्राहकों को चाय पहुंचाती है। इतना ही नहीं वह गिलास आदि साफ करती है। जब इस बारे में उसके पिता से चर्चा की तो उनक कहना है कि मैं गरीब हूं तथा दूसर कोई नौकर रखने लायक दुकान नहीं चलती। इसलिए बच्ची का सहयोग लेना पड़ता है। अब जब खाने के लिए नहीं है तो स्कूल कैस जाएगी।

केस दो - तुलसीपुर के तहसील परिसर में चाय की दुकान पर काम कर रहा यह 10 वर्षीय मासूम कभी कभार ही विद्यालय जाता है। ज्यादातर वह अपने पिता के कामों में हाथ बटाता है। शिक्षा के प्रति न तो उसके पिता की लगन दिखी और न ही बच्चे में कोई उत्साह। कारण है कि अब तो उसे छोटी सी उम्र में ही पैसे कमाने की चाह हो गई। वह एसडीएम सहित बड़े अधिकारियों के कार्यलय में चाय लेकर दिन रात चक्कर लगाता है फिर भी उसे विद्यालय पहुंचाने की पहल किसी ने नहीं की।

केस तीन - तुलसीपुर बाजार में ही एक 12 वर्षीय किशोर एक होटल पर नौकरी करने के लिए विवश है क्योंकि घर में आर्थिक स्थिति कमजोर कहकर पढ़ाई के स्थान पर कमाई को तवज्जो दिया गया और वह स्कूल जाने के बजाय प्रतिदिन खुद को बालश्रम के हवाले कर दिया।

यह तो मात्र बानगी है ऐसे सैकड़ों मासूम प्रतिदिन दर्जनों होटलों, रेस्टोरेंट व अन्य दुकानों पर नौकरी कर पैसे कमा रहे हैं। इसके चलते वे पढ़ाई से वंचित हैं। शिक्षा की रोशनी इन तक नहीं पहुंचती, ज्यादातर बच्चों का नामांकन स्कूल में तो है लेकिन स्कूल जाने के बजाए वे इन स्थानों पर काम करना अधिक पसंद करते हैं।

बच्चों से मजदूरी कराना कानूनन अपराध है। इस दिशा में जांचकर प्रभावी कार्रवाई की जाएगी। बच्चों को शिक्षा मिले इसके लिए भी संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा।

-केशवनाथ गुप्त

उप जिलाधिकारी, तुलसीपुर


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