बीस किसानों के लिए माइक्रो कामधेनु योजना
बलरामपुर : प्रदेश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने व दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए माइक्रो कामधे
बलरामपुर : प्रदेश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने व दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए माइक्रो कामधेनु प्रतिपूर्ति योजना संचालित है। इसमें जिले के 20 किसानों को 26 लाख 99 हजार रुपये की सहायता देकर दूध डेरी की स्थापना कराई जाती है। इससे क्षेत्रीय किसानों को समृद्ध बनाने के साथ जिले में दुग्ध उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा।
प्रदेश सरकार ने खेती किसानी कर अपना जीवन यापन करने वाले किसानों को खेती के साथ-साथ निर्भर बनाने एवं देश के अन्य विकासित प्रदेशों की तर्ज पर प्रदेश के किसानों को समृद्ध बनाने के लिए माइक्रो कामधेनु योजना शुरू की है। इसमें दुग्ध उत्पादन के लिए जिले के 20 किसानों का चयन किया जाएगा। इसमें प्रत्येक किसान को 26 लाख 99 हजार की लागत वाली दुग्ध उत्पादन की यूनिट स्थापित कराई जाएगी। इसमें योजना के लिए चयनित लाभार्थी को छह लाख 75 हजार 750 रुपये की धनराशि स्वयं लगानी होगी। शेष 20 लाख 24 हजार 250 रुपये पर 12 प्रतिशत ब्याज विभाग द्वारा पांच साल तक अदा की जाएगी। योजना का लाभ लेने वाले किसान को सिर्फ मूल धन ही जमा करना होगा। माइक्रो कामधेनु योजना की एक यूनिट में अच्छी नस्ल की 25 दुधारू पशु (गाय व भैंस) रखे जाएगे। इससे क्षेत्र में दुग्ध उत्पादन बढ़ेगा साथ ही जिले में अच्छी प्रजाति के पशुओं की संख्या बढ़ेगी।
- प्रदेश के बाहर से खरीदे जाएंगे पशु :
माइक्रो कामधेनु योजना के तहत शुरू की जाने वाली डेरी के सभी जानवरों की खरीद दुग्ध उत्पादन में अग्रणी प्रदेशों से की जाएगी। साथ ही एक पशुओं की कीमत लगभग 70 हजार रुपये निर्धारित की गई है। पशु खरीद का पैसा किसान को न देकर बल्कि पशु विक्रेता के खाते में भेजा जाएगा।
- दुग्ध बिक्री के लिए खुला बाजार :
माइक्रो कामधेनु योजना द्वारा संचालित होने वाली दुग्ध डेरी में उत्पादन होने वाले दूध की बिक्री के लिए कोई बाध्यता नहीं रहेगी। डेरी संचालक अपने इच्छा अनुसार दर निर्धारित कर दूध की बिक्री कर सकते हैं।
इच्छुक किसान लें लाभ :
किसानों को समृद्ध बनाने के लिए ही माइक्रो कामधेनु योजना संचालित है। इससे जिले के दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी। साथ ही जिले में अच्छी प्रजाति के पशुओं की संख्या भी बढ़ेगी। योजना का लाभ लेने के इच्छुक किसान कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।
- डॉ. यूएल गुप्ता
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी