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मौसम से सहमे किसान, बची फसल सहेजने को लेकर चिंतित

बलरामपुर : शहर से बाहर पक्की सड़क से गांव की पगडंडी पर पहुंचते ही धूप की परवाह किए बिना किसान खेतों

By Edited By: Published: Tue, 21 Apr 2015 12:18 AM (IST)Updated: Tue, 21 Apr 2015 12:18 AM (IST)
मौसम से सहमे किसान, बची फसल सहेजने को लेकर चिंतित

बलरामपुर : शहर से बाहर पक्की सड़क से गांव की पगडंडी पर पहुंचते ही धूप की परवाह किए बिना किसान खेतों में काम करते दिखते हैं। जिस तरफ नजर घुमाएं किसान अपनी फसल को समेटता दिखता है। क्योंकि उसे भ्रम है कि कहीं फिर न बरसात हो जाए और बची फसल एकदम नष्ट हो जाए। इसी डर में किसान रात दिन खेतों में काम कर रहे हैं।

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बौद्ध परिपथ से गनवरिया गांव को जाने वाले मार्ग पर पेड़ की छांव में बैठे किसान खेतों में पड़ी फसल को घर कैसे पहुंचाएं इसी पर चर्चा कर रहे थे। किठूरा गांव के रक्षाराम ने बताया कि आठ बीघा में गेंहू की फसल उगाई थी। बेमौसम बरसात ने पूरी फसल बर्बाद कर दी। बरसात से बची फसल को सहेजने में जो लागत लगी है उतना गेंहू भी नहीं मिला है। पनहरिया गांव के चिंताराम यादव ने बताया कि बरसात से फसल तो बच गई थी। पकी फसल भीग जाने से उत्पादन पर असर पड़ा है। गेंहू के दाने का भी रंग बदल गया है। गनवरिया के राम सहाय ने बताया कि उनकी फसल बच गई है। अगेती बोआई का लाभ उन्हें मिला है। सेखुइया गांव के राम सागर व जगन्नाथ ने बताया कि बेमौसम बरसात से फसल तो बच गई लेकिन उत्पादन प्रभावित हुआ है। भीग जाने से दोनों का रंग बदल गया। व्यापारी गेंहू की कीमत सही नहीं दे रहे हैं। क्रय केंद्रों पर भी किसानों को परेशान किया जाता है। गेंहू भीगा बताकर कटौती का दबाव बनाया जाता है। पचपेड़वा हरैय्या निवासी सलीम ने बताया कि बेमौसम बरसात से फसल तो बच गई। किसान बची फसल को बटोरने के लिए परेशान हैं क्योंकि यदि अब बरसात हुई तो सबकुछ बर्बाद हो जाएगा। इसीलिए किसान खेत से फसल उठाने के बाद ही हट रहा है।

यहां से आगे बढ़ने पर ज्योनार गांव के निकट जगन्नाथ के खेत में पार्वती व सुनीता गेंहू बांध रहीं थीं। सेखुइया व कोयलिहा गांव के निकट लगी अरहर की फसल मौसम के मार से ठूंठ हो गई है। फली नहीं बची है।

-क्रॉफकटिंग होने पर सामने आएगा उत्पादन का सच

जिले में इस बार 84,347 हेक्टेयर क्षेत्रफल में गेंहू बोआई का लक्ष्य था। लक्ष्य के सापेक्ष गेंहू की बोआई किसानों ने की। प्रति हेक्टेयर उत्पादन का लक्ष्य 31 क्विंटल नौ किलोग्राम है। उत्पादन लक्ष्य के सापेक्ष हुआ है। इसका पता क्रॉफ्टकटिंग से होता है। जिले में अभी क्राफ्ट कटिंग नहीं हुई है।

-15 से बीस हजार रुपये लगती है लागत

गेंहू बोआई में प्रति हेक्टेयर 15 से बीस हजार रुपये की लागत आती है। किसानों का कहना है कि खेत की जोताई, बीज, खाद, कीटनाशक दवा, सिंचाई, कटाई, मड़ाई व श्रमिक पर यह खर्च होता है। जो हालात हैं उसमें लागत निकल पाना मुश्किल दिख रहा है।

जिले के रबी फसल अच्छी है। बेमौसम बरसात से फसल की क्षति नाम मात्र की हुई है। दो बार सर्वे कराया गया है। ढ़ाई प्रतिशत नुकसान है। बरसात से भीगी फसल से गेंहू की चमक कम हो गई है। इसलिए क्रय केंद्रों पर खरीद में छूट दी गई है। क्षतिपूर्ति का मानक 33 प्रतिशत है। फसल नुकसान का मानक कम होने के कारण किसानों को क्षतिपूर्ति नहीं मिली है।

- केशवदास

एडीएम, बलरामपुर


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