बेमौसम बरसात ने बदला गेंहू के दानों का रंग
बलरामपुर : जिले के किसानों के सामने अपनी फसल को सहेजने की चिंता है। बेमौसम बरसात में भीग कर नम हुई ग
बलरामपुर : जिले के किसानों के सामने अपनी फसल को सहेजने की चिंता है। बेमौसम बरसात में भीग कर नम हुई गेंहू की फसल से मड़ाई का कार्य पूरी तरह प्रभावित हो गया। मौसम की मार से बची आधी फसल को बचाने के लिए किसान रात दिन मेहनत कर रहे हैं। सरकारी आंकडों में फसल की क्षति मामूली होने के कारण किसानों को सरकारी इमदाद भी नहीं मिली है। जिला प्रशासन के सर्वे में नुकसान ढ़ाई प्रतिशत ही है जबकि किसानों की नजर में नुकसान 30 प्रतिशत से अधिक है।
किसानों के लिए इस बार अप्रैल माह में मौसम खलनायक बन गया। प्रदेश के अन्य जिलों की अपेक्षा यहां के किसानों की स्थिति कुछ हद तक ठीक है। क्योंकि यहां बरसात तो हुई लेकिन इंद्र देव की इतनी रहम रही की ओलावृष्टि नहीं हुई। इस लिए गेंहू की फसल यहां कुछ हद तक बच गई। बेमौसम बरसात का प्रभाव गेंहू उत्पादन पर अवश्य पड़ा है। गेंहू के दानों का रंग भी बदल गया है। किसानों की फसल का जो नुकसान हुआ है वह सरकारी मानक में नहीं आता है। जिला प्रशासन बेमौसम बरसात से मात्र ढाई प्रतिशत ही फसल के नुकसान का दावा कर रहा है। जबकि किसान तीस प्रतिशत नुकसान बता रहे हैं।
उत्पादन पर भी असर
किसान रामछबिले, रामबुझारत, सोनी, असगर अली आदि का कहना है कि बरसात से फसल नम हो गई। इसलिए मड़ाई का कार्य प्रभावित हुआ है। मड़ाई को लेकर किसान अधिक परेशान हैं। रात दिन काम करके फसल सहेजने में किसान जुटे हैं। बरसात से गेंहू के दाने का रंग बदल गया है। खेतों में फसल गिर गई थी इसलिए उत्पादन पर भी असर पड़ा है।
सर्वे में क्षति का आकलन ढाई प्रतिशत
बेमौसम बरसात में फसलों की क्षति के आकलन के लिए पुन: सर्वे कराया गया। सर्वे के लिए उपकृषि निदेशक, भूमि संरक्षण अधिकारी, जिला कृषि अधिकारी, उपजिलाधिकारी व तहसीलदारों की संयुक्त टीम गठित की गई। टीम ने तीनों तहसीलों में फसल के क्षति का आकलन किया। सर्वे में मात्र ढ़ाई प्रतिशत फसल की क्षति हुई है। किसानों की फसल का नुकसान कम है। ऐसे में मुआवजा नहीं मिल सकता है। मुआवजा के लिए फसल क्षति का मानक अब 33 प्रतिशत हो गया है।
-केशव दास
अपर जिलाधिकारी