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लंका में विभीषण से मिले हनुमान बताई प्रभू की महिमा

बलरामपुर : समय माता मंदिर पर चल रहे श्री चंडी महायज्ञ में बुधवार को डॉ. रामललन ओझा ने लंका में हनुमा

By Edited By: Published: Wed, 25 Mar 2015 11:49 PM (IST)Updated: Wed, 25 Mar 2015 11:49 PM (IST)
लंका में विभीषण से मिले हनुमान बताई प्रभू की महिमा

बलरामपुर : समय माता मंदिर पर चल रहे श्री चंडी महायज्ञ में बुधवार को डॉ. रामललन ओझा ने लंका में हनुमान व विभीषण की मुलाकत का वर्णन करते हुए कहा कि अब भा मोही भरोष हनुमंता, बिन हरि कृपा मिलहिं नही संता अर्थात हे हनुमान मुझे भरोसा हो गया है कि बिना प्रभु की कृपा के संत लोगों के दर्शन नहीं होते हैं। कहा कि हनुमान मैं लंका में वैसे ही निवास कर रहा हुं जैसे जबड़े के बीच में जिह्वा रहती है। क्या प्रभु श्रीराम मुझे अपनी शरण में लेंगे। हनुमान ने विभीषण के प्रश्नोत्तर का उत्तर देते हुए कहा कि तात कवन मैं पर कुलीना कपि चंचल सबही विधि हीना अर्थात हे मित्र मैं ही कौन से बड़े कुल का हूं। मैं बंदर जो स्वभाव से चंचल व अंजान हूं जब प्रभु ने मुझे अपनी शरण में ले लिया तो आप तो कुलीन हैं प्रभु आप को अवश्य अपनी शरण में लेंगे। कथा वाचक ने कहा कि भक्त को प्रभु की शरण में जाने के लिए किसी भी जाति धर्म व श्रेष्ठ कुल की आवश्यकता नहीं होती है। मन में ईश्वर की सच्ची श्रद्धा भक्ति से ही प्रभु की कृपा प्राप्त की जा सकती है। नैमिष धाम से आई साध्वी सुमन शास्त्री ने श्रोताओं को प्रभु के जन्म की कथा सुनाई। कथा के उपरांत समिति द्वारा साध्वी की विदाई कर दी गई। समिति के पदाधिकारी राम नरेश त्रिपाठी ने बताया कि कक्षा के शेष दिनों में नैमिष धाम से आए संत विनीत महराज द्वारा कथा का वाचन किया जाएगा। कथा के दौरान पंडाल कई संतों के साथ-साथ बड़ी संख्या श्रोता व समिति के सदस्य उपस्थित रहे।

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-धर्म का पथ प्रदर्शक राम चरित मानस : सर्वेश महराज

गौरा चौराहा : स्थानीय बाजार स्थित नथई माता मंदिर में आयोजित की गई पांच दिवसीय संगीतमयी राम कथा में पहले दिन अयोध्या से आए कथा वाचक सर्वेश महराज ने श्रोताओं को रामचरित मानस की महिमा के बारे में बताया। कथा वाचक ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस हिंदूओं की प्रमुख धार्मिक पुस्तकों में से एक है। कहा कि इस पुस्तक में लिखी बातों को आत्मसात कर मनुष्य अपने जीवन को सार्थक बना सकता है। बताया कि तुलसीदास ने इसे सात कांडों में बांटा है। प्रत्येक कांड अपने में एक विशेष गुण समाहित किए हुए है। मानव अपने जीवन में रामचरित मानस में लिखी बातों उतारकर आसानी से प्रभु की भक्ति प्राप्त कर सकता है। पहले दिन की कथा के दौरान पंडाल में बड़ी संख्या में श्रोतागण उपस्थित रहे।


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