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सुनहरा हो सकता है फुटबाल के खिलाड़ियों का भविष्य

बलरामपुर : किक्रेट व अन्य खेलों में तर्ज पर ही फुटबाल के खिलाड़ियों का भी भविष्य सुनहरा हो सकता है। इ

By Edited By: Published: Mon, 02 Mar 2015 10:26 PM (IST)Updated: Mon, 02 Mar 2015 10:26 PM (IST)
सुनहरा हो सकता है फुटबाल के खिलाड़ियों का भविष्य

बलरामपुर : किक्रेट व अन्य खेलों में तर्ज पर ही फुटबाल के खिलाड़ियों का भी भविष्य सुनहरा हो सकता है। इस खेल में भी संतोष ट्राफी य इससे ऊपर खेलने वाले खिलाड़ियों को विभिन्न विभाग के द्वारा दी जाने वाली नौकरियों के लिए फुटबाल खिलाड़ियों के लिए विशेष आरक्षण होता है। लेकिन बात महिला फुटबाल के खिलाड़ियों की करें तो उत्तर प्रदेश में उनके लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। इस जिले के प्रतिभावान महिला फुटबाल खिलाड़ी अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित नहीं कर पा रहे है। प्रस्तुत है फुटबाल के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले नेशनल फुटबाल खिलाड़ियों द्वारा उत्तर प्रदेश में फुटबाल के लिए दिए जा रहे सुझाव -

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देश के अन्य प्रदेश व विदेशों की तरह ही उत्तर प्रदेश में फुटबाल खिलाडि़यों की कोई कमी नहीं है। लड़कों की तर्ज पर प्रदेश की लड़कियां भी अच्छी फुटबाल खिलाड़ी साबित हो सकती हैं, लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा फुटबाल खेल में महिला खिलाड़ियों के प्रति किया जा रहा सौतेला बर्ताव प्रदेश में महिला फुटबाल की अच्छी टीम न होने के जिम्मेदार है। महिला फुटबाल खिलाड़ियों के लिए पूरे प्रदेश में कोई भी हास्टल नहीं है। इसके चलते महिला फुटबाल खिलाड़ियों की प्रतिभा निखर कर आगे नहीं आ पाती है।

-वाजिद अली

चयनकर्ता,उत्तर प्रदेश फुटबाल टीम

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यूपी की महिला फुटबाल टीम के लिए प्रतियोगिता कराकर टीम चुने जाने का कारण इस प्रदेश के लोगों के द्वारा बालिकाओं के बाहर न खेलने जाने देना है। इस प्रदेश के लोग लड़कों के देश के किसी भी कोने के भेजने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं लेकिन लड़कियों की बात आते ही लोग समाज रीति रिवाज आदि का बहाना कर बेटियों को घर से बाहर नहीं निकलने देते हैं। इसके चलते उनके भीतर छिपी प्रतिभा को निखरने का मौका नहीं मिलता है।

- अजीत सिंह

चयनकर्ता, उत्तर प्रदेश फुटबाल टीम

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फुटबाल के प्रति लोगों की उदासीनता भी प्रदेश व देश में फुटबाल के खेल को आगे विकसित नहीं होने दे रही है। क्रिकेट जैसे खेल में एक रणजी खेलकर खिलाड़ी इतना प्रसिद्ध हो जाता है कि उसे अपनी अलग पहचान मिल जाती है, लेकिन इस स्तर की फुटबाल में होने वाली कई संतोष ट्राफी प्रतियोगिताएं खेलने के बाद भी खिलाड़ी को अपना पेट भरने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। कहा कि जब तक प्रदेश की सरकार व निजी लोग अन्य खेलों की तर्ज पर फुटबाल खेल को बढ़ावा नहीं देंगे। तब तक इस खेल में हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे।

- भरैब दत्त (नेशनल प्लेयर)

चयनकर्ता, उत्तर प्रदेश फुटबाल टीम

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बात यदि बालिका फुटबाल की करें तो इसके पीछे होने का करण प्रदेश में महिला फुटबाल के लिए किसी भी प्रकार की सुविधा का न होना है। पूरे प्रदेश में बालिका फुटबाल के प्रशिक्षण के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। साथ साल में एक बार प्रदेश की बालिका फुटबाल टीम के चयन के लिए इस प्रकार की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा पूरे वर्ष कोई प्रतियोगिता नहीं होती है। इसीलिए प्रदेश को अच्छी महिला फुटबाल खिलाड़ी नहीं मिलती है। हमारा प्रदेश इस क्षेत्र में पिछड़ता ही जा रहा है।

- एमएस बेग

चयनकर्ता, उत्तर प्रदेश फुटबाल टीम

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प्रदेश में 75 प्रतिशत बच्चे सिर्फ क्रिकेट में भाग लेते है। अन्य 25 प्रतिशत बाकी खेलों में जब कि इस खेल के खिलाडि़यों के लिए भी आर्मी, पुलिस, डाकघर, रेलवे, बैंक व ऑडिट विभाग में भी स्पेशन कोटे की व्यवस्था की गई है। इसमें खिलाड़ियों को सीधे भर्ती किया जाता है। साथ ही बीते दो तीन सालों से रेलवे विभाग ने महिला फुटबाल खिलाड़ियों को भी विशेष आरक्षण देना शुरू कर दिया है। इसलिए यदि कोई भी खिलाड़ी फुटबाल में संतोष ट्राफी खेला है तो उसे इस विभागों में आसानी स नौकरी मिल जाती है।

- राजेश कुमार सोनकर (जिला क्रीड़ा अधिकारी)

चयनकर्ता, उत्तर प्रदेश फुटबाल टीम


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