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जुलूस निकालकर विसर्जित की गई लक्ष्मी-गणेश प्रतिमा

बलरामपुर : गोवर्धन पूजा के साथ शुरू हुई पांच पर्वो की श्रृखंला क्षेत्र भर में पारंपरिक विधि-विधान से

By Edited By: Published: Sun, 26 Oct 2014 12:23 AM (IST)Updated: Sun, 26 Oct 2014 12:23 AM (IST)
जुलूस निकालकर विसर्जित की गई लक्ष्मी-गणेश प्रतिमा

बलरामपुर : गोवर्धन पूजा के साथ शुरू हुई पांच पर्वो की श्रृखंला क्षेत्र भर में पारंपरिक विधि-विधान से मनाई गई। दीपावली पर नगर तथा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रथम पूज्य विघ्नहर्ता गणेश तथा लक्ष्मी के पूजन के साथ दीपों से घरों को सजाया गया। भैय्या दूज पर भाइयों का अभिषेक कर बहिनों ने उनके लंबी आयु, सुख तथा समृद्धि की कामना की। शनिवार को जुलूस निकालकर लक्ष्मी-गणेश प्रतिमा का जगह-जगह विसर्जन किया गया।

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उतरौला संवादसूत्र के अनुसार धंवन्तरि जयंती से शुरू हुआ पर्व दीपावली, भैय्या दूज, गोवर्धन पूजा तथा अन्नकूट के साथ संपन्न हुआ। धनतेरस पर जहां आभूषणों, बर्तनों, सोने-चांदी के सिक्कों को खरीद हुई वहीं मुस्लिम परिवारों ने भी धनतेरस पर सुख समृद्धि की कामना के साथ घरेलू सामानों की खरीद की। अन्नकूट का पर्व नगर क्षेत्र से बाहर बरखंडी दास मंदिर पर मनाया गया। जहां महिलाओं ने खलिहानों से धन धान्य के घरों में आने की कामना की। रेहरा, श्रीदत्तगंज, गैंड़ास, महदेइया बाजार, चमरूपुर, महुआ बाजार आदि क्षेत्रों में श्रृंखला बद्ध त्योहारों के चलते जमकर खरीद की गई।

गैंसड़ी संवादसूत्र के अनुसार

प्रकाश पर्व दीपावली का महापर्व परंपरागत उत्साह और उमंग भरे वातावरण से मनाया गया। चारों तरफ खुशियों का वातावरण नजर आया। व्यापारियों में हर्ष का माहौल देखा गया। दो दिनों तक सारी रात आकाश पटाखों की आवाजों से गुंजायमान बना रहा। बाजार में तीन दिनों तक लक्ष्मी-गणेश प्रतिमा स्थापित कर मूर्ति पूजन किया गया। गाजे बाजे की धुन पर शनिवार को नवयुवक लक्ष्मी पूजन समिति के पदाधिकारियों ने प्रभारी निरीक्षक अर्जुन यादव के मौजूदगी में मझौली मोड़ होते हुए बिस्कोहर मार्ग, बौद्ध परिपथ, जरवा मार्ग पर जुलूस निकाल कर बडुईनाला में मूर्ति विसर्जन किया। दीपावली के अवसर पर दो दिनों तक अपने घरों को दीपकों और झालरों से जगमगाए रखा।

गौरा चौराहा संवादसूत्र के अनुसार

क्षेत्र में उल्लास के पटाखो व खुशियों की फुलझडि़यों के साथ दीपावली का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। बिजलीपुर मंदिर, जैतापुर, पिपरा, विशुनपुर गौरा आदि शिव मंदिरों में दीप का पर्व परंपरा के अनुरूप मनाया गया।


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