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अभिभावक बच्चों से संवाद बनाएं रखें

बलरामपुर : बच्चों से संवादहीनता और दारोगा जैसा व्यवहार उनके मन पर गलत प्रभाव डालता है। माता-पिता के

By Edited By: Published: Sat, 18 Oct 2014 11:47 PM (IST)Updated: Sat, 18 Oct 2014 11:47 PM (IST)
अभिभावक बच्चों से संवाद बनाएं रखें

बलरामपुर : बच्चों से संवादहीनता और दारोगा जैसा व्यवहार उनके मन पर गलत प्रभाव डालता है। माता-पिता के इसी व्यवहार के कारण बच्चों के लापता, गायब या घर छोड़कर भागने की घटनाएं बढ़ी हैं। बच्चों में धैर्य नहीं होता है। इसलिए उन्हें दुलारकर ही अपना निर्णय बताया जा सकता है।

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मिसिंग बच्चों की तलाश अभिभावक व पुलिस दोनों को करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। पुलिस तो गायब होने की सूचना दर्ज कर बैठ जाती है, लेकिन अभिभावक बच्चों के मिलने तक तलाश जारी रखते हैं। पुलिस रिकार्ड में तीन साल में 44 बच्चों के गायब होने की सूचना दर्ज है। इसमें से 40 को खोज लिया गया है। बच्चों के गायब होने की घटनाएं न हों इसके लिए भी स्वैच्छिक संस्थाएं कार्य कर रही हैं लेकिन उसके बाद भी बच्चों के लापता होने की घटनाएं कम नहीं हो पा रही हैं। इसके पीछे मनोवैज्ञानिक अभिभावकों की भूमिका को अहम मानते हैं। मनोवैज्ञानिक कविराज का कहना है कि बच्चों का मन कोमल होता है। उनमें समझ की कमी रहती है। इसलिए उन्हें तेज आवाज में अच्छी बातें भी गलत लगती हैं। क्योंकि उनमें धैर्य की कमी होती है। अक्सर माता-पिता बच्चों पर पढ़ाई के लिए अधिक दबाव बनाते हैं जो उन्हें नागवार लगती है। कड़े शब्दों में अभिभावकों की बातों को बच्चे अपनी प्रतिष्ठा को जोड़ लेते हैं। उन्हें लगता है कि उनकी आजादी छिन रही है। इसी उधेड़बुन में वह ऐसा कदम उठा लेते हैं जो परिवार को भारी पड़ता है। इसलिए बच्चों के साथ दारोगा जैसा व्यवहार नहीं करना चाहिए। माता-पिता बच्चों से संवाद बनाएं रखें उन्हें ऐसा न लगे कि उनकी उपेक्षा की जा रही है। बच्चों की निगरानी जरूरी हैं, लेकिन यह कार्य दुलार से किया जाए। उनके दोस्तों की प्रशंसा करें। दोस्तों को घर बुलाएं जिससे बच्चों को लगे कि परिवार में उनका खास स्थान है। बच्चों को छोटे-छोटे दायित्व सौंपें, उनसे राय लें। इससे बच्चे अपने को उपेक्षित नहीं महसूस करेंगे।

बच्चों पर पड़ता है माता-पिता में तनाव का असर

लापता, गायब बच्चों के लिए कार्य करने वाली संस्था मिसिंग चाइल्ड एलर्ट के जिला कोआर्डिनेटर संजय पांडेय का कहना है कि उनकी संस्था ने घर लौटकर आए बच्चों का अध्ययन किया है। उनमें कुछ बातें समान दिखी। माता-पिता के आपसी तनाव का असर बच्चों पर पड़ता है। कई बच्चे ऐसे मिले जो तनाव के कारण घर से चले गए। सादुल्लाहनगर थाना के ग्राम भिखा निवासी कमलेश कुमार का बेटा अनुज कुमार इसलिए घर से भाग गया था क्योंकि उसे पढ़ाई के लिए स्कूल भेजा जाता था। इसी से तंग आकर वह भाग गया। आठ माह बाद गोरखपुर में मिला। इसलिए बच्चों पर दबाव भी दुलार के साथ ही बनाएं। बच्चों की मिसिंग कम करने में परिवार की भूमिका अहम होती है।


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