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ढूंढते हैं परिजन, रिकॉर्ड दुरुस्त करती है पुलिस

बलरामपुर : मिसिंग सेल में बच्चों के गायब होने का रिकार्ड तो दुरुस्त है, लेकिन उनको तलाशने में पुलिस

By Edited By: Published: Fri, 17 Oct 2014 11:48 PM (IST)Updated: Fri, 17 Oct 2014 11:48 PM (IST)
ढूंढते हैं परिजन, रिकॉर्ड दुरुस्त करती है पुलिस

बलरामपुर : मिसिंग सेल में बच्चों के गायब होने का रिकार्ड तो दुरुस्त है, लेकिन उनको तलाशने में पुलिस हाथ खड़े कर लेती है। गायब बच्चों को खोजने में परिवार के लोग ही अहम भूमिका अदा करते हैं। परिवार के लोगों ने ही अधिकांश लापता बच्चों को खोज निकाला है। अभिभावकों के प्रयास को ही पुलिस अपनी उपलब्धि में बदल देती है।

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जिले में तीन साल में 44 बच्चों के लापता होने की सूचना पुलिस रिकार्ड में दर्ज है। इनमें से 40 को वापस लाने का भी दावा पुलिस कर रही है। जबकि असल में बच्चों की तलाश अभिभावकों की सक्रियता से हुई है। जिस मामले में अभिभावक सुस्त पड़े उसमें या तो बच्चा लौटा नहीं। यदि मिली भी तो उसकी लाश मिली।

केस एक - थाना पचपेड़वा के ग्राम सिसहनिया निवासी साबिर अली का बेटा अली हसन स्कूल पढ़ने गया था। वहीं से गायब हो गया। परिवार के लोगों ने खोजा नहीं मिला तो 13 सितंबर को थाना में गुमशुदगी की सूचना दर्ज कराई। पुलिस सूचना दर्ज कर बैठ गई लेकिन परिवार के लोग अपने लाडले को खोजते रहे। 18 दिन की मेहनत पर अली हसन गोरखपुर में मिला। परिवार की मेहनत को पुलिस नपे अपना गुडवर्क बना लिया।

केस दो - थाना तुलसीपुर क्षेत्र के ग्राम ओड़ाझार निवासी रामपाल चौधरी की 12 वर्षीय पुत्री मोहनी नौ अक्टूबर को गायब हो गई। मोहिनी की तलाश परिवार के लोगों ने की लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। अगले दिन बेटी के गायब होने की सूचना संबंधित थाना पर दर्ज कराई। सूचना दर्ज कराने के बाद पुलिस की तरह परिवार के लोग भी सुस्त हो गए। नतीजा आठ दिन बाद मोहिनी की लाश गन्ने के खेत में मिली। परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है।

यह दो केस मिसिंग बच्चों की तलाश को लेकर पुलिस की सक्रियता को बयां करने के लिए मात्र बानगी है। गुमशुदा मामलों में पुलिस की सख्ती पीड़ित परिवार पर भारी पड़ती है, हालांकि पुलिस का भी अपना तर्क है। उनका कहना है कि सीमित संसाधनों से ही बच्चों की तलाश की जाती है। सूचना दर्ज करने के साथ ही पुलिस सक्रिय हो जाती है।

लापता बच्चों की तलाश में पुलिस हमेशा सतर्क व सजग रहती है। सूचना मिलते ही संबंधित थाना की पुलिस सक्रिय हो जाती है। परिवार के लोगों ने सहयोग से बच्चों की तलाश में मदद मिलते हैं। इसलिए उनकी भूमिका अधिक अहम रहती है।

- श्रीश्चंद्र

क्षेत्राधिकारी सदर


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