स्कूल में बनाएं घर जैसा माहौल
बलरामपुर : जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पर चौथे बैच की बाल मैत्री विद्यालयों पर आधारित कार्यशाला के दूसरे दिन प्रशिक्षुओं को स्कूलों में घर की तरह माहौल बनाने व बच्चों के साथ परिजनों जैसा व्यवहार करने के गुण सिखाए गए। साथ ही उन्हें स्कूल परिसर में बच्चों को प्रिय जानवरों का चित्रण कराने की बात भी बताई गई।
डॉयट पर यूनिसेफ द्वारा आयोजित की गई बाल मैत्री स्कूलों का विकास कार्यशाला में प्रशिक्षक राजीव दूबे ने प्रशिक्षुओं को स्कूल में भयमुक्त माहौल को समाप्त करने की बात पर बताया कि बच्चे घर पर अपने को पूरी तरह स्वंतत्र व सुरक्षित महसूस करते हैं। जिसके चलते उनके दिमाग की अधिगम क्षमता बढ़ जाती है। जबकि स्कूल में बच्चे अपने आप को बंधा हुआ पाते हैं जिसके कारण उनका आधा ध्यान स्कूल के बंधन से आजाद होना होता है। यही कारण है कि बच्चे पढ़ाई जा रही बातों को जल्दी नहीं समझा पाते हैं। इसलिए स्कूलों को बाल मैत्रीपूर्ण बनाने से पहले आप लोग बच्चों के बीच बैठ स्कूल के डर को समाप्त करें। जिस दिन बच्चों के भीतर बैठा डर निकल गया उस दिन आप लोगों के द्वारा किए जा रहे कार्य आसानी से बच्चों को समझ में आने लगेगा। इस दौरान प्रशिक्षक ज्ञानेंद्र पांडेय ने प्रशिक्षुओं से स्कूलों को बाल मैत्री विद्यालयों के रूप में विकसित करने के लिए स्कूल परिसर में बच्चों को आकर्षित करने वाली आकृतियों का निमार्ण कराने व बच्चों को छोटी-छोटी बातों पर पुरस्कृत व प्रोत्साहित करने की बात भी कही। कार्यशाला में दूसरे दिन 66 शिक्षकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। साथ ही प्रशिक्षक अखिलेश शुक्ला व आलोक पाठक ने प्रशिक्षक की भूमिका निभाई।