बीडीओ, सचिव व ग्राम प्रधान भी जांच की जद में
बलरामपुर : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की जांच कर रही सीबीआइ अब घोटाले की अवधि में तैनात रहे बीडीओ, ग्राम पंचायत सचिव व ग्राम प्रधानों पर शिकंजा कसेगी। क्योंकि कागज पर हुई सामग्री आपूर्ति का लेखा-जोखा इनके पास सुरक्षित नहीं है। विकास खंड हरैय्या व पचपेड़वा मनरेगा घोटाले को लेकर काफी सुर्खियों में रहा है।
मनरेगा में वर्ष 2007 से 2009 के बीच हुए करोड़ों के घोटाले की जांच सीबीआइ कर रही है। इस अवधि में सामग्री खरीद के नाम पर अफसरों की मिलीभगत से आपूर्ति करने वाली संस्थाओं ने करोड़ों रुपये डकार लिया। सामग्री खरीद और वितरण कागज पर ही कर लिया गया। सामग्री बिना टेंडर के सहकारी उपभोक्ता संघ सहित अन्य मनचाही संस्थाओं से ली गई। इसमें तत्कालीन जिलाधिकारी व सीडीओ के खास माने जाने वाले तीन बिचौलियों अनुराग, सोमी व सतीश ने महती भूमिका अदा की है। इसीलिए इन बिचौलियों के यहां सीबीआइ ने छापेमारी की कार्रवाई की। बिचौलियों के यहां छापेमारी के बाद से घोटाले की अवधि में जिले के ब्लॉकों पर तैनात रहे खंड विकास अधिकारी एपी सिंह, एनपी यादव, जर्नादन सिंह, अवधेश राम आदि से भी सीबीआइ पूछताछ करेगी। इनमें से एक बीडीओ अवधेश राम की तैनाती अभी जिले में ही है। इनके साथ ही ग्राम पंचायत सचिव व ग्राम प्रधान भी हड़बड़ाहट में हैं। क्योंकि बिचौलियों द्वारा जो सामग्री आपूर्ति का कागज दिखाया जा रहा है। उस हिसाब से सामन ग्राम पंचायतों के पास सुरक्षित होने चाहिए लेकिन उनके पास कोई सामान नहीं है, जो भी सामग्री आपूर्ति दर्शाई गई है। असल में वह गांवों तक पहुंचा ही नहीं है। यही नहीं विकास खंड कार्यालयों पर मनरेगा से डेढ़ लाख रुपये का कंप्यूटर खरीदा गया था। वर्तमान में वह भी सुरक्षित नहीं है। इसके साथ ही मनरेगा में कराए गए कार्यो की भी पड़ताल सीबीआइ करेगी। विकास खंड पचपेड़वा व हरैय्या मनरेगा घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ के रडार पर है। इन दोनों विकास खंडों में मनरेगा घोटाले में कई प्रधानों पर पूर्व में ही कार्रवाई की जा चुकी है। पचपेड़वा विकास खंड के तत्कालीन बीडीओ को मनरेगा घोटाले में जेल भी जाना पड़ा था। इस विकास खंड के ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत सचिव सीबीआइ की जांच से अधिक सकते में हैं।
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सीबीआइ को जांच में प्रशासन पूरा सहयोग कर रहा है। घोटाले की अवधि के अभिलेख सीबीआइ टीम को पूर्व में ही दिया जा चुका है। सीबीआइ अपने हिसाब से जांच कर रही है। जांच में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
- राकेश कुमार मिश्र
मुख्य विकास अधिकारी
बलरामपुर