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बैंकों में नोट नहीं, एटीएम भी पड़े खाली

बलिया : नोटबंदी के 25 दिन बाद भी बैंकों में नकदी का प्रवाह नहीं हो सका। एटीएम खाली पड़े हैं। लोगों

By Edited By: Published: Sat, 03 Dec 2016 10:52 PM (IST)Updated: Sat, 03 Dec 2016 10:52 PM (IST)
बैंकों में नोट नहीं, एटीएम भी पड़े खाली

बलिया : नोटबंदी के 25 दिन बाद भी बैंकों में नकदी का प्रवाह नहीं हो सका।

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एटीएम खाली पड़े हैं। लोगों की परेशानी अब हद को पार कर रही है जिससे जनता में व्यवस्था के प्रति खिन्नता आ रही है।

शनिवार को भी स्थिति यही रही। नगर के सभी बैंकों से लेकर एटीएम तक में मारामारी की स्थिति रही। नगर के लगभग सभी एटीएम पर सैकड़ों की संख्या में लोग सुबह से जमे रहे लेकिन उन्हें रुपये नहीं मिले। ऐसे में लाइन में खड़े रहने से लोगों को होने वाला कष्ट अब खुल कर बाहर आने लगा है। इसको लेकर जगह-जगह धरना प्रदर्शन के साथ नोकझोंक भी शुरू हो गई है।

बैंकों में अपार भीड़ के बीच दु‌र्व्यवस्था से लोग और भी आजिज हो गए हैं। बैंकों में अपने ही रुपये पाने के लिए लोगों का पूरा दिन बीत जा रहा है। फिर भी निर्धारित सीमा तक नकदी नहीं मिल रही है। इस तरह की स्थिति में लोगों के बीच विरोध के स्वर भी फूटने लगे हैं।

सुबह पड़ रही कड़ाके की ठंड में लोग बैंकों में पहुंच जा रहे हैं, फिर भी कहीं राहत नहीं मिल रही है।इसमें एक तरह सरकार कह रही कि बैंकों में पर्याप्त नकदी है जबकि दूसरी ओर धरातल पर हजार दो हजार रुपये के लिए भी लोग तरस जा रहे हैं। स्थिति यह है कि लोग रुपये के लिए पूरे दिन भागते फिर रहे हैं।

बैंकों की मनमानी से लोगों का कष्ट और बढ़ रहा है। बैंकों में न तो लाइन की कोई व्यवस्था है और न ही नकदी की सुविधा। ऐसे में बैंक से लेकर एटीएम में सुबह से शाम तक किचकिच हो रही है।

बुजुर्गों व महिलाओं की मुसीबत

ठंड का प्रकोप बढ़ने से बैंकों में बुजुर्गों व महिलाओं को और भी मुसीबत झेलनी पड़ रही है।कोहरे के बीच सुबह सात बजे ही बैंकों में लोग पहुंच जा रहे हैं। ऐसे में दोपहर तक बैंकों में खड़े रहने से इनकी हालत खराब हो जा रही है। बुजुर्ग हो या महिलाएं इनके लिए बैंकों में अलग व्यवस्था नहीं होने से काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।

बैंकों में खूब हो रही मनमानी

नकदी कम होने का हवाला देकर बैंक वाले लोगों के साथ जमकर मनमानी कर रहे हैं। बैंक कर्मी जुगाड़ वाले लोगों को अंदरखाने से निर्धारित सीमा तक रुपये दे रहे हैं जबकि आम लोगों को दो-हजार भ नसीब नहीं हो रहा है। ऐसे में इस तरह की व्यवस्था से लोगों में आक्रोश की स्थिति है।

जब देना ही नहीं तो सीमा निर्धारण क्यों

नोटबंदी के बाद सरकार की रोजाना बदल रही नीतियों से लोगों में उबाल की स्थिति है। सरकार ने नोटबंदी के बाद सभी बैंकों में पर्याप्त रकम होने का हवाला देकर सप्ताह में 24 हजार रुपये तक निकालने की सीमा तो निर्धारित कर दी लेकिन यहां इसका कहीं अनुपालन नहीं हो रहा है। यहां किसी भी बैंक में लोगों को निर्धारित सीमा तक रकम नहीं दी जा रही है। लोग बैंक अधिकारियों से सीधे कह रहे जब देना ह नहीं है तो सीमा निर्धारण ही क्यों किए हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों की भी कोई ले सुधि

नोटबंदी के बाद सबसे खराब स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों की है लेकिन इस ओर किसी का ध्यान ही नहीं है। गांवों में लोगों को बैंकों से एक-दो हजार रुपये भी नहीं मिल पा रहे हैं जिससे उनकी दिनचर्या तक बाधित हो गई है।


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