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..आखिर इस रक्षा कवच की क्यों हुई अनदेखी

बलिया : दुबे छपरा ¨रग बंधा जो इलाके के दर्जन भर गांवों का रक्षा कवच था उसे जाह्नवी की वेगवती लहरों न

By Edited By: Published: Wed, 31 Aug 2016 06:34 PM (IST)Updated: Wed, 31 Aug 2016 06:34 PM (IST)
..आखिर इस रक्षा कवच की क्यों हुई अनदेखी

बलिया : दुबे छपरा ¨रग बंधा जो इलाके के दर्जन भर गांवों का रक्षा कवच था उसे जाह्नवी की वेगवती लहरों ने आखिरकार 27 अगस्त को भेद ही दिया। ऐसा नहीं था कि इस रक्षा कवच को गंगा का पानी अपने पौरुष से भेद कर अंदर दाखिल हो गया यहां गंगा को ऐसा करने का मौका जानबूझ कर दिया गया। इसकी पटकथा तो तभी लिखी जा चुकी थी जब वर्ष 2013 में ¨रग बंधा टूटने के बाद सरकार ने इसे बाढ़ विभाग को सौंपते हुए इसकी मरम्मत के लिए नौ करोड़ रुपये दे दिए। विभागीय अधिकारियों व ठेकेदार की लूट व मानक विहीन कार्य होने के कारण गंगा नदी को यह मौका मिला।

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लगभग दो किमी के इस बंधे का निर्माण 1948 में घनश्याम दास बिड़ला ने कराया था। तब वे बार कौ¨सल का चुनाव लड़ने वाराणसी आए थे और लोगों ने इस संबंध में उनसे आग्रह किया। दुबे छपरा, उदई छपरा, प्रसाद छपरा, पाण्डेयपुर सहित दर्जन छोटे-बड़े गांवों को सुरक्षित रखने के लिए बिड़ला द्वारा निर्मित इस बांध पर मरम्मत का कार्य गीता प्रेस गोरखपुर ने भी कराया। तब से ही यह बांध बिड़ला व गीता प्रेस का बांध कहा जाने लगा। बांध को बार-बार टूटता देख सरकार ने वर्ष 2013 के बा इसे बाढ़ व ¨सचाई विभाग को सौंप दिया तथा इस पर मरम्मत के नाम पर नौ करोड़ की भारी भरकम राशि भी आहरित कर दी। जब इस बंधे के मरम्मत का कार्य प्रारंभ हुआ तो सत्ताधारी दल के प्रभावी ठेकेदार होने के कारण कार्यों में खूब मनमानी हुई। विभाग ने भी इसमें ठेकेदार का ही साथ दिया। ठेकेदार ने जब बांध के नजदीक से ही जेसीबी व पोकलैंड लगाकर मिट्टी बांध पर डालना प्रांरभ किया तो ग्रामीणों ने इसका विरोध किया। क्योंकि मिट्टी बाहर से लाकर बंधा मरम्मत का प्राविधान था। ग्रामीणों ने एनएच जाम भी किया पर कोई कुछ नहीं सुना और नतीजा सबके सामने है।


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