दस लाख के कर्जदार जिलाधिकारी भी!
-विद्युत बिल-मुख्य विकास अधिकारी पर बकाया 54 लाख तो अकेले नलकूप विभाग पर सवा दो करोड़-सरकारी महकमो
-विद्युत बिल-मुख्य विकास अधिकारी पर बकाया 54 लाख तो अकेले नलकूप विभाग पर सवा दो करोड़-सरकारी महकमों पर विद्युत विभाग का करोड़ों है बकाया फिर भी निर्वाध संचालित है आपूर्ति
बलिया : आम आदमी को बिजली मिले भी तो कैसे जब जिम्मेदार लोग उपभोग की गई बिजली का बिल चुकाने के विषय में सोचते ही नहीं है। जनपद के सरकारी महकमों पर ही बिजली विभाग का करोड़ों बकाया है फिर भी न तो विभाग उनसे वसूली करता है न ही उनकी बिजली काटने जैसी कोई कार्रवाई ही करता है। आम आदमी के यहां महज कुछ पैसों के लिए मुकदमा कराने वाला विभाग इन बड़े बकाएदारों के यहां सिर झुका कर ही खड़ा रहता है।
जिले में विद्युत बिल के बकाए की बात करें तो यह राशि बहुत बड़ी है और विभाग के पास भुगतान का लक्ष्य भी ज्यादा है। जिले के सिर्फ सरकारी महकमे अपना बकाया भुगतान कर दें तो विद्युत विभाग की स्थिति सुधर सकती है। विद्युत विभाग के बकाएदारों में जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, जिला विकास अधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी, नगर पालिका, जिला पंचायत, राजकीय आईटीआई, बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक जल निगम, ¨सचाई, नलकूप सहित शायद ही कोई विभाग है जिसके पास दस लाख से कम का बकाया हो। जिले के सरकारी महकमों में सर्वाधिक बकाया वाले विभागों मे नलकूप विभाग है जिसके पास सवा दो करोड़ का बकाया है। मुख्य चिकित्साधिकारी के पास बिजली विभाग का 71 लाख बकाया ह वहीं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी पर विभाग का 67 लाख बकाया है। बिजली विभाग के बकाएदारों में जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी भी है जिनके पास क्रमश: दस व 54 लाख का बकाया है।
बिजली विभाग के बकाएदार
-जिलाधिकारी 10 लाख-मुख्य विकास अधिकारी 54 लाख-मुख्य चिकित्साधिकारी 71 लाख-बेसिक शिक्षा अधिकारी 67 लाख-¨सचाई विभाग 40 लाख-राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण 52 लाख-उत्तर प्रदेश जल निगम 10 लाख-नलकूप विभाग दो करोड़ 12 लाख
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सरकारी विभागों पर बकाया भुगतान के लिए नियम से प्रयास किया जाता है और विभागीय अधिकारी बजट के हिसाब से भुगतान भी करते है पर जिले के सरकारी महकमों के पास बकाया राशि बहुत ज्यादा हो गई है।
ई. बृजेश क मार, अधिशासी अभियंता
---------------बिजली विभाग की बिल तैयार करने की प्रक्रिया ही दोषपूर्ण है। भुगतान की गई राशि को भी विभाग बकाया दिखाता जाता है। कहा कि कई बार विभाग से पत्राचार के बाद भी बिल सुधार कराने को विभाग के पास समय नहीं है।
डॉ.पीके ¨सह, मुख्य चिकित्साधिकारी