मुख्य हाल में आराम फरमाते आवारा कुत्ते
जागरण संवाददाता, बलिया : दिन - रविवार, स्थान - जिला अस्पताल की इमरजेंसी, समय - दोपहर ढाई बजे। करोड़ों
जागरण संवाददाता, बलिया : दिन - रविवार, स्थान - जिला अस्पताल की इमरजेंसी, समय - दोपहर ढाई बजे। करोड़ों की लागत से बने भवन के चारों ओर गंदगी का अंबार। मरीजों को शुद्ध पानी मिले, इसके लिए यहां लगाया गया है आरओ प्लांट। इसी की बगल में है पानी टंकी। टंकी का ढक्कन खुला और चारों ओर पसरी है गंदगी। यह आसानी से समझा जा सकता है कि यहां से कितना शुद्ध पानी मिलता होगा रोगियों को। आगे बढि़ए और पहुंचिए मुख्य हाल। यहां आराम फरमा रहे थे आवारा कुत्ते। मरीजों का कहना था कि दिन में इनकी संख्या कम होती है, रात में बढ़ जाती है और इन्हें रोकने वाला कोई नहीं होता। मरीज और उनके परिजनों को उनसे भी बचना पड़ता है।
उधर, गंदगी चलते चिकित्सक भी इलाज की मानसिकता नहीं बना पाते। चिकित्सकों का कहना है कि इस बाबत वे कई बार अपनी बात ऊपर पहुंचा चुके हैं, निदान नहीं मिलता। वैसे यहां सफाईकर्मी 24 घंटे में दो बार सुबह नौ बजे और शाम सात बजे आते हैं और कोरम पूरा कर चले जाते हैं। उनका मुख्य काम कूड़ा निपटाना नहीं, बल्कि इधर की गंदगी उधर टाल देने भर का होता है। भृगु आश्रम इलाके से एक मरीज के साथ आए सुधीर ओझा का कहना था कि इमरजेंसी में बेड का चादर बदलने में भी घोर लापरवाही बरती जाती है।
बेड से एक मरीज को हटाकर उसी पर दूसरे मरीज को लिटा देते हैं। लोहापट्टी से दूसरे मरीज के साथ आए श्यामजी ने बताया कि घाव से जो बैंडेज खारिज किया जाता है, उसे भी यहां यूं ही यत्र तत्र फेंक दिया जाता है।