राष्ट्रीय जलजंतु डॉलफिन की हुई गणना
भरौली (बलिया) : केंद्र सरकार से संचालित नमामि गंगा परियोजना के तहत राष्ट्रीय जलजंतु डॉलफिन यानि सोंस
भरौली (बलिया) : केंद्र सरकार से संचालित नमामि गंगा परियोजना के तहत राष्ट्रीय जलजंतु डॉलफिन यानि सोंस की गणना करने के लिए डब्लूडब्लूएफ इंडिया व राज्य वन विभाग की संयुक्त टीम मंगलवार को जिले में पहुंची। टीम ने गाजीपुर से बलिया के बीच गंगा नदी में डॉलफिनों की वास्तविक स्थिति व संख्या की गणना की। इस दौरान वाराणसी से कैथी गाजीपुर के बीच 96 व तो वहां से कोरंटाडीह डाकबंगले तक 173 डॉलफिन पाई गई। टीम के सदस्य आरपी यादव ने कहा कि अभियान पांच अक्टूबर से शुरू है जिसके तहत बिजनौर, गढ़मुक्तेश्वर, नरोरा, कानपुर, इलाहाबाद से होते हुए बलिया तक गंगा व उसकी सहायक नदियों की लगभग 3350 किमी के विस्तार में इनकी गणना की जानी है। गंगा नदी में रहने वाली डॉलफिन एक शर्मीली व दुर्लभ मानी जाती हैं। इसे वर्ष 2010 में राष्ट्रीय जलजंतु घोषित किया गया जिन्हें आमतौर पर सोंस व सूंस के नाम से भी जाना जाता है। गंगा रिवर डॉलफिन अपनी नदी पारिस्थितिक व्यवस्था में सर्वोच्च परभक्षी जंतु है। इनको गंगा के चीते के रूप में भी जाना जाता है। यह एक संकेतक जंतु हैं जो स्वस्थ व स्वच्छ पर्यावरणीय उपस्थिति के संकेत द्वारा नदी पारिस्थितिक व्यवस्था को बताने का काम करती हैं। कहा कि विश्व की चार स्वच्छ जलीय डॉलफिनों में से एक गंगा रिवर डॉलफिन गहरे जल में रहना पसंद करती हैं। यह एक स्तनधारी जंतु हैं जो पानी के अंदर सांस नहीं ले सकती हैं। यह अपने सिर के ब्लोहोल के माध्यम से सांस लेती हैं। पिछले कुछ वर्षों में इनकी संख्या काफी कम हो गई है जिससे नदी पारिस्थितिक को भी खतरा हो गया है। ऐसे में इनको संरक्षण देने के उद्देश्य से यह गणना की जा रही है। गणना नौ अक्टूबर तक होनी है जिसके बाद प्रदेश सरकार को 11 अक्टूबर को इसकी रिपोर्ट सौंपी जाएगी। टीम में डीएन चौधरी, रामप्रकाश मौर्य, अखंड प्रताप ¨सह, अरुण कुमार उपाध्याय, विनोद तिवारी, नितिन कौशल, उमेश चंद श्रीवास्तव आदि मौजूद थे।