रंगकर्मियों के जीवंत अभिनय से खड़े हुए रोंगटे
बलिया : साहित्यिक, सामाजिक व सांस्कृतिक संस्था 'संकल्प' के संयोजकत्व में नगर स्थित नारायणी टाकीज में
बलिया : साहित्यिक, सामाजिक व सांस्कृतिक संस्था 'संकल्प' के संयोजकत्व में नगर स्थित नारायणी टाकीज में चल रहे बलिया नाट्य महोत्सव का दूसरा दिन शुक्रवार को इलाहाबाद की टीम 'समानांतर' के नाम रहा। इस टीम के रंगकर्मियों द्वारा किए गए जीवंत अभिनय ने दर्शकों के रोंगटे खड़े कर दिए। कलाकारों की संवाद अदायगी के साथ ही उनके अंदाज ने इस मौके का साक्षी बन रहे लोगों की आंखें न सिर्फ नम कर दी बल्कि महोत्सव को भी यादगार बना दिया।
सत्यजीत रे की कहानी पर आधारित पहला नाटक 'असमंजस बाबू' इस बदहवास भागती दुनिया में थोड़ा ठहरकर व सोचकर चलने वाले आदमी की कहानी है जो धारा के साथ न चल पाने के कारण अकेला पड़ जाता है। वह चाहता है कि जीवन में कुछ मूल्य बचे रहें और समाज उसे इस तरह उपेक्षित न करे लेकिन समाज उन मूल्यों पर अमल करने के बजाय असमंजस बाबू को ही उपेक्षित कर देता है।
वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल रंजन भौमिक के निर्देशन में राकेश यादव की की इस एकल प्रस्तुति को दर्शक शायद ही कभी भूल पाएं। राही मासूम रजा के उपन्यास पर आधारित दूसरा नाटक 'टोपी शुक्ला' रहा। अलीगढ़ व बनारस को पृष्ठभूमि में रखते हुए यह नाटक सांप्रदायिकता के खतरे को बखूबी बयां करता रहा। दो दर्जन से अधिक कलाकारों ने जब इसे मंच पर उतारा तो दर्शक भावविभोर हो गए।
नाटक में कविताओं व नज्मों का प्रयोग तथा ध्वनि, प्रकाश व दृश्य संयोजन का बेहतरीन संयोजन देख लगा ही नहीं कि यह नाटक बलिया में प्रस्तुत किया जा रहा है। राकेश यादव, सकीना, असगर अली ने अपनी अदाकारी से सबका दिल जीत लिया। संस्था की तरफ से निर्देशक अनिल रंजन भौमिक, अध्यक्ष प्रो. अनिता गोपेश व मुख्य रंगकर्मी राकेश यादव को पं. ब्रज किशोर त्रिवेदी व डा. जनार्दन राय ने प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया। संकल्प के सचिव आशीष त्रिवेदी ने संचालन किया जबकि वरिष्ठ रंगकर्मी विवेकानंद सिंह ने आभार जताया।