अहंकार दूर करने की सीख देती है रामकथा
रसड़ा (बलिया): रामचरित मानस की कथाएं अहंकार दूर करने की शिक्षा से ओत-प्रोत हैं। इस कथा में सबसे बड़े अ
रसड़ा (बलिया): रामचरित मानस की कथाएं अहंकार दूर करने की शिक्षा से ओत-प्रोत हैं। इस कथा में सबसे बड़े अहंकारी रावण का जहां अहंकार चूर होता है वहीं सीता स्वयंवर में आने वाले राजाओं का भी अहंकार चूर कर दिया। ये बातें पं.उमाशंकर त्रिपाठी ने कही। वह मंगलवार देर शाम श्रीनाथ मठ पर आयोजित श्रीराम कथा व नवाह्न परायण यज्ञ में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने सीता स्वयंवर का वर्णन करते हुए कहा कि स्वयंवर में अनेक देशों के राजा मौजूद थे और सबके मन में अहंकार उत्पन्न था। स्वयंवर में स्वयं रावण भी मौजूद था। जब किसी से धनुष नहीं टूटा तो सभी ने मिलकर सामूहिक प्रयास किया। बावजूद इसके शिव धनुष नहीं टूटा लेकिन सभी के अभिमान अवश्य टूट गए। जब गुरु
की आज्ञा हुई तो प्रभु श्रीराम ने गुरु से आशीष लिया और बड़े ही निर्मल भाव से प्रभु का स्मरण कर धनुष तोड़ने पहुंचे। उनके विनम्र स्वभाव से धनुष हाथ लगते ही टूट गया। उन्होंने रामकथा को जीवन में उतारने की बात कही जिससे इहलोक और परलोक दोनों सुधर जाय। अन्य वक्ताओं ने भी राम कथा के कई मार्मिक प्रसंगों को भाव पूर्ण प्रस्तुति कर वातावरण को राम मय बना दिया।