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दावा आठ का, एक किमी से आगे पानी नगण्य

By Edited By: Published: Sat, 20 Sep 2014 06:05 PM (IST)Updated: Sat, 20 Sep 2014 06:05 PM (IST)
दावा आठ का, एक किमी से आगे पानी नगण्य

भरौली (बलिया) : सूखे से परेशान किसानों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। बदहाल स्थिति में कोरंटाडीह पंप कैनाल पर किसी की निगाह नहीं होने पर किसानों को अपनी फसल नष्ट होते देख चिंता के साथ गुस्सा भी बढ़ता जा रहा है। इस नहर का शुभारंभ 22 सितंबर 1972 में किया गया। नहर की क्षमता आठ किमी के बीच खेतों को सिंचित करने की है। इस नहर में दो मशीनें लगी हैं, जिसे आम भाषा में बड़ी मशीन और छोटी मशीन से जाना जाता है। आज एक सप्ताह से बड़ी मशीन खराब होने के चलते छोटी मशीन से नहर चलायी जा रही है। बनने के दो साल बाद से ही नहर की दुर्दशा दिखने लगी। आज आलम यह है कि इस नहर में इतनी क्षमता ही नहीं है कि आठ किमी पानी दे सके। नहरों की सफाई देखने से ही अंदाजा लग जाएगा कि नहर की स्थिति क्या है। नहर न तो दो किमी से अधिक पानी दे पा रही है न ही उसकी स्थिति ऐसी है। इससे उम्मीद लगाए किसानों की धान की फसल सूखे मौसम में पानी की एक बूंद के लिए तरस रही है। गड़हा विकास मंच के अध्यक्ष चंद्रमणि राय ने किसानों की समस्याओं को देखते हुए अधिकारियों से निवेदन किया है कि किसानों की दुर्दशा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगर नहर की स्थिति ठीक नहीं हुई तो इसकेलिए आंदोलन होगा। नसीरपुर मठ निवासी राधामोहन यादव ने कहा कि अधिकारी नहर के पास तो आते नहीं कागजों में चलाते हैं किसान का फोन भी नहीं उठाते हैं। नहर सिर्फ एक किमी तक पानी देती है। इस समय करीब चार दिनों से बंद पड़ी है। राजकुमार का कहना है कि नहरों की सफाई ही बयां कर रही है कि कितनी दूर सिंचित करेगी यह नहर। रामयश पासवान ने कहा कि प्रत्येक वर्ष नहर इसी तरह धोखा देती है जिससे हम किसानों की फसल सूख जाती है।

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बोले मंत्री : 24 घंटे में दूर करें समस्या

इलाके के किसानों ने सूबे के काबीना मंत्री अंबिका चौधरी के समक्ष अपनी समस्या रखी। बताया कि कोरंटाडीह पंप कैनाल की दूरी आठ किमी है जबकि सिंचित पानी डेढ़ दो किमी तक ही है। इससे किसानों के खेतों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। इस बारे में काबीना मंत्री श्री चौधरी ने अधिशासी अभियंता लघुडाल नहर गाजीपुर, संजय कुमार भारती से कहा कि कोरंटाडीह पंप कैनाल की समस्या का हर हाल में 24 घंटे के अंदर निवारण करें। मंत्री के सख्त लहजे से किसानों ने राहत की सांस ली, उम्मीद बंधी कि उनकी फसल बच जाएगी।


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