..तो आरोपी की मर्जी से तय होंगे जांच अधिकारी!
बलिया : इसे रामराज कहें या कुछ और कि अब गुनाह करने वाले आरोपी की जांच कौन करेगा इसका निर्धारण आरोपी की मर्जी से होगा। विकासखंड पंदह के सहुलाई गांव में ग्राम पंचायत द्वारा कराए गए कार्याें की गड़बड़ी की जांच कर रहे जांच अधिकारी को सिर्फ इसलिए डटा दिया गया कि वह कड़ाई से जांच कर रहे थे और सचिव उनसे जांच करवाना नहीं चाह रहा था।
अपने तरह की इस अजीब घटना में ग्राम पंचायत सहुलाई के ग्राम प्रधान राकेश गौतम व सचिव अवध नाथ ा वर्मा द्वारा कराए गए कायरें में वित्तीय अनियमितता की शिकायत हुई तो जिला प्रशासन ने मुख्य विकास अधिकारी प्रमोद कुमार यादव को मामले की जांच कराने का निर्देश दिया। नामित जांच अधिकारी डीसी मनरेगा राजित राम मिश्र जब तय समय के मुताबिक मामले की जांच करने पहुंचे तो सचिव ने अभिलेख देने से इंकार कर दिया। कारण पूछने पर इधर-उधर की बात करता रहा। बाद में अभिलेख के अभाव में जांच टीम बैरंग आ गई। बाद में सचिव को अभिलेख उपलब्ध कराने के कई मौके दिए गए पर उसने अभिलेख उपलब्ध नहीं कराया। तथा कह दिया कि ग्राम पंचायत के कार्याें की जांच आप नहीं करेंगे। फिर उसने अपने हिसाब से जांच अधिकारी नामित कराने का प्रयास किया और अंतत: डीसी मनरेगा के स्थान पर अपने ही विभाग के अधिकारी जिला पंचायत राज अधिकारी घनश्याम सागर को जांच अधिकारी नामित करा दिया। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या जांच अधिकारी आरोपी की मर्जी से निर्धारित किए जाएंगे। ग्राम निधि प्रथम सहित मनरेगा के तहत हुए कायरें में लाखों की अनियमितता की जांच के बीच में जांच अधिकारी बदलना अपने आप में जिला प्रशासन की मंशा पर सवालिया निशान खड़ा करता है।
संज्ञान में नहीं मामला
जांच अधिकारी बदलने के बाबत प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी /पीडी डीआरडीए प्रमोद कुमार यादव का कहना है कि जांच अधिकारी बदलने जाने संबंधि किसी मामले की जानकारी नहीं है जबकि उन्हीं के हस्ताक्षर से डीसी मनरेगा को इस बात का पत्र प्राप्त हो गया है कि जांच संबंधि सारे प्रपत्र डीपीआरओ को सौंप दिए जाए क्योंकि सहुलाई जांच में डीपीआरओ को जांच अधिकारी नामित कर दिया गया है।
जांच अधिकारी बदलने को होगा आंदोलन
विकासखंड पंदह के सहुलाई गांव में प्रधान व सचिव के विरुद्ध जांच अधिकारी बदलने के मामले को लेकर आंदोलन होगा। छात्रसंघ युवा मोर्चा के पंदह ब्लाक के अध्यक्ष अंकुर तिवारी ने कहा है कि आरआर मिश्र को जांच अधिकारी पद से हटाना अपने आप में भ्रष्टाचार को पुष्ट करता है। लूटपाट के मामले में लीपापोती के प्रयास को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा और आरआर मिश्र से ही जांच कराने के लिए आंदोलन किया जाएगा।