याद किए गए साहित्यकार आचार्य परशुराम चतुर्वेदी
बलिया : हिन्दी साहित्य के प्रबल संवाहक मूर्धन्य विद्वान आचार्य परशुराम चतुर्वेदी की 121वीं जयंती भावपूर्ण एवं गरिमामय ढंग से मनाई गई। साहित्यकारों ने आचार्यश्री को काव्याजंलि अर्पित की।
चलता पुस्तकालय में हिंदी प्रचारिणी सभा के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम में सभी ने कृतज्ञ भाव से आचार्य चतुर्वेदी के हिन्दी साहित्य में दिए गए योगदान को याद किया। इस अवसर पर काव्य गोष्ठी भी आयोजित हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ रामसुंदर ठाकुर व शैलेंद्र मिश्र के वाणी वंदना व एवं भजन से हुआ। सभा के अध्यक्ष डॉ.रघुवंश मणि पाठक ने कहा कि आचार्य ने संत साहित्य को पुनरूद्धार कर संसार को विश्व कल्याण का महामंत्र दिया। संत साहित्य का मूल उद्देश्य भी संपूर्ण मानवता का संरक्षण और विश्व कल्याण ही था। अशोक जी ने कहा कि सुख का भोग व दु:ख का भय न होना मानवता का कल्याण है। आनंद की अनुभूति मानवता कल्याण का सृजन करती है। आचार्य पारस नाथ मिश्र ने आचार्य चतुर्वेदी ने कहा कि उन्होंने इस विषय पर काम किया कि संत ने क्या कहा इस पर नहीं कि संत का विषय क्या है। इस अवसर पर शत्रुघ्न पांडेय, डा.जनार्दन राय, डा.देवनाथ चतुर्वेदी, डा. बनारसी राम ने विचार व्यक्त किए। अंत में आयोजित काव्याजंलि में शिवजी पांडेय, त्रिभुवन सिंह, विजय मिश्र, नरेंद्र पांडेय, डा.प्रमोद पांडेय, फतेहचंद बेचैन अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। इस अवसर पर भोला मिश्र, मीरा तिवारी, प्रेमशकर पांडेय, आशीष त्रिवेदी मौजूद थे।