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सही फैसला, फांसी के लायक ही थे

By Edited By: Published: Fri, 13 Sep 2013 10:16 PM (IST)Updated: Fri, 13 Sep 2013 10:17 PM (IST)
सही फैसला, फांसी के लायक ही थे

बहराइच : 16 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की एक छात्रा के साथ चलती बस में दुष्कर्म के चारों आरोपियों को अभियुक्त करार देते हुए दिल्ली की अदालत द्वारा दी गई फंासी की सजा को लोगों ने बिल्कुल जायज माना है। कई बुद्धिजीवियों ने अपराध को जघन्य मानते हुए उम्रकैद की सजा को नाकाफी बताया था।

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सहायक शासकीय अधिवक्ता संत प्रताप सिंह ने कहा कि इस तरह के अदालती फैसले से समाज को अच्छा संदेश जाता है और अपराध पर नियंत्रण होता है। सहायक शासकीय अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह ने फांसी की सजा दिए जाने को सराहा है। अधिवक्ता ओपी मिश्रा ने कहा कि इससे न्यायपालिका पर लोगों का विश्वास बढ़ा है। अधिवक्ता कु.नीरज मिश्रा ने फैसले को सही ठहराया है और कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए फासी सबसे उचित दंड है। राजकीय इंटर कॉलेज के प्रवक्ता बीएस श्रीवास्तव ने कहा कि फांसी की सजा सही है। किसान डिग्री कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मेजर एसपी सिंह ने कहा कि ऐसे बहुत से अपराधी हैं जिन्होंने इस तरह का घृणित अपराध किया है। इससे ऐसे लोगों में भय बनेगा। राजकीय ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज के प्राचार्या डॉ. पूनम सिंह ने कहा कि फांसी की सजा सही है। पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अनिल त्रिपाठी ने कहा कि दिल्ली दुष्कर्म मामले में चारों अभियुक्तों को मिली फांसी की सजा ऐतिहासिक निर्णय है। सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी ने न्यायालय द्वारा अभियुक्तों को फांसी की सजा को उचित ठहराया है। हिंदी प्रतिष्ठान के महामंत्री कर्मवीर सिंह ने न्यायालय की प्रशंसा करते हुए फैसले का सम्मान किया है। यूआरसी की नगर समन्वयक कांति मिश्रा ने कहा कि दिल्ली गैंग रेप दरिंदगी थी, सजा सही।

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